There have never been so many children in high school after 1991.
यूपी बोर्ड ने 1921 में अपनी स्थापना के बाद 1923 में पहली बार हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षा कराई थी। शनिवार को घोषित बोर्ड परीक्षा के 100वें परिणाम में हाईस्कूल के छात्र-छात्राओं की बल्ले-बल्ले हो गई। पिछले तीन दशक के उपलब्ध आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो कभी इतनी बड़ी संख्या में परीक्षार्थी सफल नहीं हुए।
शनिवार को दोपहर दो बजे पहले हाईस्कूल का परिणाम घोषित किया गया। इसमें 27,81,645 परीक्षार्थियों में से 22,22,745 (88.18 प्रतिशत) सफल हुए। इससे पहले 2016 में 36,46,802 परीक्षार्थियों में से 28,56,998 (87.66 प्रतिशत) छात्र-छात्राएं हाईस्कूल में पास हुए थे। 2013 और 2014 में लगातार दो साल 86 प्रतिशत से अधिक परीक्षार्थी 10वीं में पास हुए थे। 2013 में 3636953 परीक्षार्थियों में से 28,86,379 (86.63 प्रतिशत), जबकि 2014 में 3705396 छात्र-छात्राओं में से 28,90,695 (86.71 प्रतिशत) पास थे।
कल्याण सिंह के समय 1992 में 14.70% हुए थे पास
एक समय ऐसा भी था कि यूपी बोर्ड की हाईस्कूल परीक्षा में पास करने वाले विद्यार्थी की पूरे मोहल्ले में अलग अहमियत होती थी। कल्याण सिंह के समय में 1992 में मात्र 14.70 प्रतिशत परीक्षार्थी ही पास हो सके थे। कई स्कूलों का परिणाम शून्य था। पूरे के पूरे मोहल्ले में गिने-चुने विद्यार्थी ही पास हो सके थे। आज उसी यूपी बोर्ड में काफी बदलाव देखने को मिल रहा है। सीबीएसई की तर्ज पर यूपी बोर्ड ने भी दिल खोलकर नंबर देना शुरू कर दिया है।