Agnipath Scheme: सेना के नियमित सैनिकों और अग्निवीरों की तनख्वाह में कितना अंतर, जानिए आंकड़े क्या कहते हैं? - Get Primary ka Master Latest news by Updatemarts.com, Primary Ka Master news, Basic Shiksha News,

Agnipath Scheme: सेना के नियमित सैनिकों और अग्निवीरों की तनख्वाह में कितना अंतर, जानिए आंकड़े क्या कहते हैं?

Agnipath Scheme: केंद्र सरकार की अग्निपथ योजना का देशभर में विरोध जारी है। यूपी बिहार से लेकर तेलंगाना और जम्मू कश्मीर तक 15 से ज्यादा राज्यों से हिंसात्मक घटनाओं की खबर सामने आ चुकी हैं। कहीं ट्रेन फूंकी जा रही तो कहीं पुलिस चौकी और बस।

इस बीच, अग्निपथ योजना को लेकर खूब चर्चा हो रही है। कुछ लोग इसे गलत कदम बता रहे तो कुछ लोग इसे सकारात्मक तौर पर देख रहे हैं।

अग्निपथ योजना के तहत भर्ती होने वाले युवाओं की तनख्वाह को लेकर भी खूब चर्चा है। ऐसे में आज हम आपको बताएंगे कि अग्निवीरों और नियमित सैनिकों की तनख्वाह में कितने का फर्क रहेगा? क्या नियमित सैनिकों को ज्यादा तनख्याह मिलेगी? आइए जानते हैं

अग्निवीरों को कितनी मिलेगी सैलरी?

हर अग्निवीर को भर्ती के साल 30 हजार महीने तनख्वाह मिलेगी। दूसरे साल अग्निवीर की तनख्वाह बढ़कर 33 हजार, तीसरे साल 36 हजार 500 तो चौथे साल 40 हजार रुपये हो जाएगी। इसमें से 70 फीसदी राशि वेतन के तौर पर दी जाएगी। बाकी 30 फीसदी अग्निवीर कॉर्प्स फंड अर्थात सेवा निधि पैकेज में जमा होंगे। मतलब पहले साल अग्निवीरों को हर महीने 21 हजार रुपये कैश इन हैंड मिलेंगे। दूसरे साल ये बढ़कर 23,100, तीसरे साल 25,580 और आखिरी साल 28 हजार रुपये हो जाएंगे।

चार साल में वेतन कटौती से कुल बचत करीब 5.02 लाख रुपये होगी। इस फंड में इतनी ही राशि सरकार भी डालेगी। यानी कि पीएफ की तरह यह दोहरा लाभ होगा। इस राशि पर जमा ब्याज भी मिलेगा। चार साल में वेतन कटौती से बचत और सरकार का अंशदान दोनों मिलाकर करीब 11.71 लाख रुपये हो जाएंगे। यह राशि टैक्स फ्री होगी। इस तरह चार साल बाद अग्निवीर को मासिक वेतन के अलावा सेवा निधि पैकेज से एकमुश्त 11.71 लाख रुपये दिए जाएंगे।

नियमित जवानों की सैलरी का क्या है नियम?

मौजूदा समय सेना में अफसर से लेकर जवान तक को सातवें वेतन आयोग के तहत तनख्वाह और अन्य सुविधाएं दी जाती हैं। सेना में कुल 17 से अधिक तरह के पद होते हैं। इनमें वेतन का अलग-अलग नियम है। सिपाही यानी वो सैनिक जो सीमा पर आतंकियों, दुश्मन की सेना से सरहद की रक्षा करते हैं।

सातवें वेतन आयोग के तहत अभी आर्मी के सिपाही और लांस नायक को हर महीने 21 हजार 700 रुपये कैश इन हैंड मिलते हैं। मतलब ये राशि जवानों के खाते में जाती है। इसके अलावा सैलरी का 20 से 30 प्रतिशत हिस्सा पीएफ के तौर पर जमा होती है। जवानों को समय-समय पर नियम के अनुसार प्रमोशन भी मिलता है।

लांस नायक के बाद नायक का पद होता है। इसमें जवानों को 25 हजार 500 रुपये कैश इन हैंड मिलता है। हवलदार को 29 हजार 200, नायब सूबेदार को 35 हजार 400 रुपये की सैलरी मिलती है। सूबेदार की तनख्वाह 44 हजार 900 रुपये है। सूबेदार मेजर को 47 हजार 600 रुपये कैश इन हैंड मिलता है।

क्या अग्निवीरों और नियमित जवानों की सैलरी में कोई फर्क है?

नहीं, नियमित सैनिकों और अग्निवीरों की तनख्वाह में कोई फर्क नहीं है। अग्निवीरों की सैलरी चारों साल के लिए पहले से तय है, जबकि नियमित सैनिकों की सैलरी में सातवें वेतन आयोग के तहत हर साल तीन प्रतिशत की बढ़ोतरी होगी। मतलब कुछ मिलाकर उतना ही हो जाएगा, जितना एक अग्निवीर को मिलेगा।

सेवाकाल के बाद दोनों की सुविधाओं में क्या अंतर है?

चार साल का सेवाकाल समाप्त होने के बाद अग्निवीर को एक मुश्त 11.71 लाख रुपये मिलेंगे। इसी तरह रिटायर होने वाले सैनिक को ग्रेच्युटी के रूप में एक मुश्त रकम मिलती है। सेवाकाल के बाद अग्निवीर की कैंटीन, मेडिकल आदि की सुविधाएं बंद हो जाएंगी। जबकि, नियमित सैनिकों को रिटायर्मेंट के बाद भी कैंटीन, मेडिकल आदि की सुविधा मिलती रहती है। इसके अलावा रिटायर होने के बाद सैनिक को ताउम्र पेंशन भी मिलती है। जो अग्निवीर को नहीं मिलेगी।

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