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नई राह पर यूपी बोर्ड, तीन स्तर पर पढ़ेंगे विद्यार्थी

कोविड-19 के दौर ने बहुत क्षति पहुंचाई तो नए ढंग से कामकाज करने और पढ़ाई के तौर तरीके भी बदलने का काम किया। इससे यूपी बोर्ड भी अछूता नहीं रहा। सबक लेते हुए यूपी बोर्ड अध्ययन-अध्यापन का तरीका बदल रहा है। इसके लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत पाठ्यक्रम (विषय) समिति की कार्यशाला आयोजित कर शोध विशेषज्ञों को पाठ्यक्रम तीन हिस्सों में तैयार करने के सुझाव दिए। पाठ्यक्रम विभाजन इस तरह हो कि विद्यार्थी स्कूल में तो पढ़ें ही, घर पर भी खुद पढ़कर समझ सकेंऔर प्रोजेक्ट के माध्यम से भी अध्ययन कर जीवन कौशल भी सीखें। पाठ्यक्रम को इसी तीन स्तर पर विभाजित कर 32 सप्ताह में पूरा कराया जाएगा।
यूपी बोर्ड सभागार में बुधवार को पाठ्यक्रम समिति के शोध विशेषज्ञों को संबोधित करते हुए सचिव दिब्यकांत शुक्ल ने कहा कि कोरोना संक्रमण ने पढ़ाई के तरीके बदलने को विवश किया है। ऐसे में कोर्स को इस तरह तीन हिस्सों में विभाजित करके पढ़ाया जाना है कि शिक्षण कार्य किसी भी स्थिति में बाधित न हो। इसके लिए तय करना है कि पाठ्यक्रम को कम करने के बाद किस तरह तीन हिस्सों में विभाजित किया जाए। कोरोना संक्रमण काल में प्रयोगों का स्मरण कराया और कहा कि उसी पैटर्न पर यूपी बोर्ड को अब आगे बढ़ना है। बोर्ड मुख्यालय के उप सचिव सुधीर कुमार ने कहा कि पाठ्यक्रम में पहला हिस्सा वह होगा, जिसे विद्यालयों में अनिवार्य रूप से पढ़ाया जाएगा। दूसरे हिस्से में कोर्स ऐसा होगा कि विद्यार्थी घर पर पढ़कर समझ सकें, उसके लिए क्लास की आवश्यकता नहीं होगी। तीसरा हिस्सा आनलाइन पढ़ाई के इर्दगिर्द होगा, जिसमें विद्यार्थी प्रोजेक्ट, वीडियो व एप के माध्यम से पढ़ाई कर सकेंगे। सचिव दिब्यकांत शुक्ल ने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति की मंशा है कि पढ़ाई में व्यावसायिक पहलू प्रमुखता से हो, ताकि विद्यार्थी जीवन कौशल भी जानें। अपर सचिव (शोध) यूपी बोर्ड अशोक गुप्ता ने भी पाठ्यक्रम को लेकर जरूरी सुझाव दिए। पाठ्यक्रम निर्धारण को माध्यमिक शिक्षा परिषद के सभापति की मंजूरी मिलने के बाद लागू कर दिया जाएगा।

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