केंद्र सरकार ने राज्यों से कहा है कि स्कूलों में खाली पड़े शिक्षकों के पदों को समयबद्ध तरीके से भरा जाए। केंद्र सरकार चाहती है कि नई शिक्षा नीति के तहत राज्य छात्र-शिक्षक के 301 अनुपात के आधार पर नियुक्तियां करें। इस संबंध में केंद्र की ओर से राज्य सरकारों को दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं।
समिति ने जारी की थी रिपोर्ट हाल ही में संसद की स्थायी समिति की एक रिपोर्ट से पता चला था कि विभिन्न राज्यों में शिक्षकों के 62 लाख से अधिक स्वीकृत पदों में से 9.8 लाख से ज्यादा पद सरकारी स्कूलों में खाली हैं।
संसद की स्थायी समिति की रिपोर्ट से पता चला कि प्राथमिक स्तर (कक्षा 1 से 8 तक) में 7.4 लाख से अधिक शिक्षकों के पद रिक्त हैं। जबकि, माध्यमिक स्तर (कक्षा 9 और 10) में लगभग 1.6 लाख और उच्च माध्यमिक स्तर पर 92,000 से अधिक पद खाली हैं।
केवी के लिए स्थायी भवन उपलब्ध कराने की सलाह
केंद्र की ओर से राज्यों को सलाह दी गई है कि किराए की जगह पर चल रहे 258 केंद्रीय विद्यालयों (केवी) के लिए जल्द भूमि उपलब्ध कराई जानी चाहिए। इन स्कूलों को स्थायी भवन उपलब्ध हो सके। कुछ राज्यों की शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी का हवाला देते हुए राज्य स्तर पर इस व्यवस्था को दुरुस्त करने का परामर्श भी दिया गया है।
पीएम श्री स्कूल योजना में शामिल न होने पर सवाल
इसके अलावा पीएम श्री स्कूल योजना में भागीदारी नहीं करने को लेकर कुछ राज्यों की भूमिका पर भी सवाल उठाया गया है। बिहार, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, केरल, ओडिशा, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल ने इस योजना को शुरू नहीं किया है। इस योजना के तहत कुल 27,360 करोड़ रुपए की लागत से 14,500 स्कूलों को पांच साल की अवधि में अपग्रेड किया जाएगा। यह योजना केंद्र और राज्य की भागीदारी पर आधारित है।
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