लखनऊ। प्रदेश सरकार का खजाना आने वाले तीन सालों में लबालब भर जाएगा। उसकी कुल कमाई विकास पर होने वाले कुछ खर्चों से ज्यादा हो जाएगी। वित्तीय प्रबंधन और वन ट्रिलियन इकॉनामी बनाने में जुटी सरकार का अनुमान है कि 2026-27 तक राज्य की कुल कमाई (राजस्व प्राप्ति) में इस वर्ष के मुकाबले करीब 2 लाख 81 हजार 665 करोड़ रुपये का इजाफा हो जाएगा। यह ऐसा वर्ष होगा जब राज्य सरकार यह बताने की स्थिति में होगी कि इस वर्ष कुल खर्च से कितनी अधिक कमाई हुई है।
मध्यकालीन राजकोषीय पुन संरचना नीति के तहत अगले तीन सालों के कमाई व खर्च का अनुमान किया गया है। राज्य की कमाई के अपने स्त्रत्तेत जीएसटी, वैट, आबकारी, परिवहन, स्टांप व निबंधन, भूतत्व व खनिकर्म जैसे प्रमुख कर राजस्व के साथ ही कई माध्यमों से करेत्तर राजस्व की प्राप्ति होती है। वैट, जीएसटी से मिलने वाला राजस्व यह बताता है कि राज्य में औद्योगिक कारोबारी गतिविधियों के साथ ही सेवा क्षेत्र की गतिविधियां क्या हैं। डीजल-पेट्रोल की बिक्री बढ़ने को भी कारोबारी गतिविधियों के विकास से ही जोड़कर देखा जाता है।
राज्य की आर्थिक, कारोबारी और सेवा क्षेत्र के विकास की गतिविधियों को देखते हुए वित्त विभाग का यह आंकलन है कि सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) में उत्तरोत्तर वृद्धि होगी। चालू वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए जीएसडीपी 10.8 फीसदी अनुमानित किया गया है। 2024-25 में भी यही दर रहने का अनुमान है। 2025-26 में जीएसडीपी 10.9 फीसदी तथा 2026-27 में 11 फीसदी पर पहुंच जाने का अनुमान है।
वेतन-पेंशन व ऋण पर खर्च का भार कम होगा
वर्ष 2026-27 तक कुल बजट से वेतन पेंशन एवं ब्याज पर होने वाला खर्च जो इस वर्ष 59.5 फीसदी अनुमानित है वह घटकर 56.9 फीसदी तक आ जाएगा। इसी प्रकार ऋणसेवा पर होने वाला खर्च जो अभी 12.5 फीसदी है वह घटकर 11 फीसदी होगा। सरकार का राजस्व बचत जो इस वर्ष 12 फीसदी अनुमानित है वह 2026-27 तक 14.9 फीसदी पहुंच जाएगा
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