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देश को आगे ले जाने में शिक्षक की भूमिका अहम : अवध ओझा

अमर उजाला शिक्षक सम्मान समारोह में उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा शिक्षक की जिम्मेदारी है कि वह बच्चों की प्रतिभा पहचानें और उसी विधा में पारंगत करें


नोएडा।

उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक का मानना है कि मेरिट लिस्ट में आना ही छात्र के जीवन की सर्वोच्च सफलता नहीं है। हर बच्चे में विशेष प्रतिभा होती है। यह शिक्षक को जिम्मेदारी है कि वह प्रतिभा पहचानें और छात्र को उसी विधा में पारंगत करें। अंकतालिका के आधार पर बच्चे का आकलन गलत है।


बतौर मुख्य अतिथि ब्रजेश पाठक रविवार को नोएडा सेक्टर-125 स्थित एमिटी विश्वविद्यालय के खचाखच भरे सभागार में आयोजित अमर उजाला शिक्षक सम्मान समारोह में बोल रहे थे।

समारोह में नोएडा, ग्रेटर नोएडा व गाजियाबाद के 104 शिक्षकों को सम्मानित किया गया। पाठक ने कहा कि यूपी सरकार शिक्षकों के साथ हर कदम पर खड़ी है। कार्यक्रम में शिक्षक, प्रेरक वक्ता व आयोजन के विशिष्ट अतिथि अवध ओझा समेत बड़ी संख्या में वरिष्ठ अधिकारी, शिक्षक और उनके परिजन मौजूद थे।

पाठक ने कहा कि कोई भी शिक्षक साधारण नहीं है। शिक्षक बनना ही दुरूह काम है। वह विपरीत परिस्थितियों में अपना जीवन आगे बढ़ाता है। परिवार की भी चिंता करता है और अपनी कक्षा के 70-80 छात्रों की तरक्की की राह बनाता है। उन्होंने कहा, शिक्षक कुम्हार की तरह हर बच्चे को गढ़कर तैयार करता है। मेरिट में आने वाले बच्चों की तारीफ तो सब करते हैं, लेकिन उसके पीछे एक शिक्षक ने कितना पसीना बहाया है, उस पर किसी की भी नजर नहीं जाती। जबकि सम्मान के असल हकदार शिक्षक ही होते हैं। शिक्षक दिवस से पहले अमर उजाला ने यही सम्मान शिक्षकों को दिया है।

देश को आगे ले जाने में शिक्षक की भूमिका अहम : अवध ओझा

नोएडा। किसी भी देश को महान बनाने में शिक्षकों की भूमिका सबसे अहम होती है। शिक्षक अपने शब्दों की ताकत से बच्चे को कुछ भी बना सकते हैं। इसलिए शिक्षकों को सबसे ज्यादा सम्मान देने की आवश्यकता है। अमर उजाला शिक्षक सम्मान समारोह में बतौर विशेष अतिथि नामचीन प्रेरक वक्ता व शिक्षक अवध ओझा ने यह बातें कहीं।

ओझा ने कहा कि शिक्षक होने के नाते वह इस बात को बखूबी महसूस करते हैं कि एक शिक्षक के लिए सम्मान कितना अहम है। जब भी अपना पढ़ाया कोई छात्र सालों बाद किसी बाजार, मॉल या फिर कभी एयरपोर्ट पर मिल जाता है और हाथ उठाकर केवल गुरुजी प्रणाम कह देता है तो मन गदगद हो उठता है। शिक्षक का मन इतना सम्मान मिलने भर से प्रसन्न हो जाता है। यदि उसको समाज में सर्वाधिक सम्मान मिले तो वह इससे मिली ऊर्जा के दम पर क्या-क्या कर सकता है।

ओझा के मुताबिक, हम सबके जीवन में तीन 'सी' बेहद अहम हैं। कांसेप्ट, कांफिडेंस और कांक्वेर। तीनों एक दूसरे से जुड़े हैं। हमें हमेशा अपनी धारणाएं स्पष्ट रखनी चाहिए। जो करना है, उसमें कहीं से कोई संदेह हमें नहीं होना चाहिए। यह अगर संभव हुआ तो आत्मविश्वास अपने आप आ जाएगा। वह आत्मविश्वास ही है, जिसके सहारे हम कोई भी मुकाम हासिल कर सकते हैं।

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