लखनऊ, विशेष संवाददाता। छठें राज्य वित्त आयोग का गठन प्रदेश सरकार जल्द करने जा रही है। इस आयोग के गठन से संबंधित प्रस्ताव वित्त विभाग ने मुख्यमंत्री के पास भेज दिया है। बताया जाता है कि मुख्यमंत्री के स्तर से आयोग के चेयरमैन और दो सदस्यों के नाम तय होंगे।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक राज्य वित्त आयोग के गठन का प्रस्ताव मंगलवार की शाम को सीएम के प्रमुख सचिव के पास भेजा गया। आयोग का चेयरमैन वित्तीय मामलों के जानकार कोई सेवानिवृत्त आईएएस बनाए जा सकते हैं। वहीं दो सदस्य पदों के लिए वित्त और नियोजन विभाग में तैनात वित्तीय मामलों के जानकार अधिकारियों को लिया जा सकता है। पूर्व के आयोगों के गठन में भी ऐसा ही किया गया था।
गठन के बाद आयोग का कार्यकाल तीन साल होगा। आयोग की सिफारिशें मार्च 2025 तक आ जानी चाहिए। जब तक इस आयोग की सिफारिशें नहीं आएंगी, पांचवें राज्य वित्त आयोग की सिफारिशों के मुताबिक ही स्थानीय निकायों व पंचायती राज संस्थाओं की राज्य करों में हिस्सेदारी सरकार देती रहेगी। आयोग का मूल काम राज्य सरकार की करों से होने वाली कुल कमाई में स्थानीय निकायों व पंचायती राज संस्थाओं की हिस्सेदारी तय करना है। अभी कुल कर राजस्व में से 12.5 फीसदी इन दोनों संस्थाओं को सरकार देती है। इसमें भी 7.5 फीसदी शहरी निकायों को और 5.0 फीसदी पंचायती राज संस्थाओं को दिया जाता है।
केंद्र सरकार ने 31 दिसंबर 2023 को 16वें वित्त आयोग का गठन किया। जिसमें नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष और कोलंबिया यूनिवर्सिटी के प्रो. अरविंद पनगढ़िया को आयोग का अध्यक्ष बनाया गया है। चेयरमैन और कमीशन के दूसरे सदस्यों का कार्यकाल 31 अक्तूबर 2025 या रिपोर्ट सौंपे जाने तक होगा। केंद्रीय वित्त आयोग का गठन होने के बाद राज्य वित्त आयोग के गठन की प्रक्रिया तेज की गई है।
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