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मुफ्त दाखिले वाले हर बच्चे की ऑनलाइन ट्रैकिंग

शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) के तहत निजी स्कूलों में गरीब परिवार के बच्चों को निशुल्क दाखिला दिलाने पर सख्ती की जाएगी। मुफ्त दाखिले के लिए आवेदन करने वाले हर बच्चे की ऑनलाइन ट्रैकिंग की जाएगी। हर चरण में प्रवेश न पाने वाले बच्चों की संख्या ली जाएगी और किन कारणों से प्रवेश नहीं मिला उसकी समीक्षा होगी। शिक्षाधिकारियों व निजी स्कूलों की जवाबदेही तय की जाएगी। प्रवेश के लिए आवेदन वेबसाइट www.rte25.upsdc.gov.in के माध्यम से किए जा सकेंगे।






उप शिक्षा निदेशक (समग्र शिक्षा) डॉ. मुकेश कुमार सिंह का कहना है कि इस बार और सख्ती बढ़ाई जाएगी। अगर किसी बच्चे के आवेदन फॉर्म में कोई त्रुटि है तो ब्लॉक स्तर पर बनी हेल्प डेस्क पर अभिभावकों को बुलाकर उसे दूर कराया जाएगा। विशेष चरण में छूटे हुए बच्चों को दाखिला दिलाया जाएगा। आरटीई के तहत निजी स्कूलों की 25 प्रतिशत सीटों पर प्रवेश के लिए अगले महीने से प्रक्रिया शुरू होगी। 67 हजार स्कूलों की मैपिंग की गई है और इसमें करीब 5.25 लाख सीटें हैं। वर्तमान शैक्षिक सत्र में करीब कुल 1.40 लाख बच्चों को प्रवेश दिलाया गया है। करीब ढाई लाख आवेदन फॉर्म आए थे और इसमें से 1.85 लाख बच्चों को सीटें आवंटित की गईं थी।






अब आवेदन करने वाले ऐसे बच्चे जो प्रवेश के पात्र हैं, उन्हें दाखिला दिलाया जाएगा। निजी स्कूलों की मनमानी और शिक्षा विभाग के कार्यालयों की गलती का खामियाजा बच्चे नहीं भुगतेंगे। बच्चों का ऑटोमेटेड परमानेंट एकेडमिक अकाउंट रजिस्ट्री (अपार) आईडी और अभिभावकों का आधार कार्ड से सत्यापन किया जाएगा। ज्यादा से ज्यादा सीटें भरने पर जोर दिया जा रहा है। शैक्षिक सत्र 2026-27 में मार्च तक प्रवेश की प्रक्रिया पूरा करने पर जोर दिया जा रहा है।






खराब प्रदर्शन वाले जिलों पर सख्ती की जाएगी

हर चरण में आरटीई में हुए प्रवेश की समीक्षा होगी। जिन जिलों में सीटों के मुकाबले कम दाखिले होंगे वहां जिम्मेदारों से जवाब-तलब किया जाएगा। प्रवेश में आनाकानी करने वाले निजी स्कूलों के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी। खंड शिक्षा अधिकारियों से जवाब-तलब किया जाएगा। हर चरण के बाद प्रवेश की ऑनलाइन जानकारी साझा की जाएगी।






ज्यादा से ज्यादा प्रवेश हों इसके लिए पूरे प्रयास किए जाएंगे। जिन जिलों में पिछले वर्ष कम प्रवेश हुए थे, वहां सख्ती होगी। उदाहरण के तौर पर आवंटित सीटों के मुकाबले बीते वर्ष मुरादाबाद में 33 प्रतिशत, मेरठ में 53 प्रतिशत, कानपुर में 48 प्रतिशत, गाजियाबाद में 52 प्रतिशत और अयोध्या में 66 प्रतिशत प्रवेश हुए थे। ऐसे में इन जिलों पर विशेष नजर रखी जाएगी।






अपार आईडी बनाने पर ही मिलेगी फीस प्रतिपूर्ति

आरटीई में प्रवेश पाने वाले प्रत्येक बच्चे का ऑनलाइन सत्यापन किया जाएगा। आरटीई पोर्टल पर जानकारी साझा की जाएगी। प्रवेश पाने वाले प्रत्येक बच्चे का आधार कार्ड विद्यालय बनवाएंगे। तभी उन्हें फीस प्रतिपूर्ति की जाएगी। निजी स्कूलों में प्रवेश पाने वाले प्रत्येक गरीब बच्चे की हर महीने 450 रुपये फीस प्रतिपूर्ति की जाएगी।




वहीं पांच हजार रुपये एकमुश्त स्टेशनरी व ड्रेस इत्यादि खरीदने के लिए दिए जाएंगे। पिछले वर्षों में स्कूलों में फीस प्रतिपूर्ति की रकम भेजी भी गई है। ऐसे में अगर कोई विद्यालय आनाकानी करेगा तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

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