बिहार के 5 लाख संविदा कर्मचारियों की सेवा स्थायी, 60 साल तक कर सकेंगे सेवा साथ ही मिलेगा स्थाई कर्मियों की तरह सभी लाभ, सीएम नीतीश कुमार ने किया ऐलान
नीतीश ने कहा कि संविदाकर्मियों को सभी तरह का लाभ मिलेगा और उनकी सेवा शर्त अनुशंसा के अनुसार लागू होगी. इसके तहत छुट्टी, सेवा दिवस, नई वेकैंसी में मौका जैसी बातें शामिल हैं.
बिहार सरकार ने अपने पांच लाख से अधिक संविदाकर्मियों को स्वतंत्रता दिवस के मौके पर बड़ा तोहफा दिया है. राज्य के सभी संविदाकर्मियों की सेवा स्थायी कर दी गई है. उच्चस्तरीय समिति की अनुसंशा पर इसकी घोषणा सीएम नीतीश कुमार ने पटना के गांधी मैदान से स्वतंत्रता दिवस समारोह के दौरान की. इस घोषणा के साथ ही अब बिहार के संविदा कर्मियों को स्थायी सरकारी कर्मियों की तरह लाभ मिलेगा.
नीतीश ने कहा कि संविदाकर्मियों को सभी तरह का लाभ मिलेगा और उनकी सेवा शर्त अनुशंसा के अनुसार लागू होगी. इसके तहत छुट्टी, सेवा दिवस, नई वेकैंसी में मौका जैसी बातें शामिल हैं. सीएम ने कहा कि समिति द्वारा की गई अनुशंसा के अनुसार नियम लागू होंगे.
नीतीश ने कहा कि संविदाकर्मियों को सभी तरह का लाभ मिलेगा और उनकी सेवा शर्त अनुशंसा के अनुसार लागू होगी. इसके तहत छुट्टी, सेवा दिवस, नई वेकैंसी में मौका जैसी बातें शामिल हैं. सीएम ने कहा कि समिति द्वारा की गई अनुशंसा के अनुसार नियम लागू होंगे.
मालूम हो कि बिहार में एक हाई लेवल कमेटी ने सभी संविदाकर्मियों की सेवा 60 साल तक स्थायी करने और रेगुलर कर्मचारियों की तरह बोनस, मेडिकल लीव और अन्य सुविधाएं देने की सिफारिश की थी.
संविदाकर्मियों के कल्याण के लिए बिहार के पूर्व मुख्य सचिव अशोक कुमार चौधरी की अध्यक्षता में गठित कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सीएम नीतीश कुमार को सौंपी थी, जिसके बाद इसे लागू किये जाने की संभावना जताई जा रही थी. अशोक चौधरी कमेटी की सिफारिशों को लागू करने से राज्य सरकार के खजाने पर बोझ पड़ेगा, लेकिन अगले साल होने वाले चुनाव को देखते हुए इसे नीतीश कुमार का मास्टरस्ट्रोक कहा जा रहा है.
संविदाकर्मियों के कल्याण के लिए बिहार के पूर्व मुख्य सचिव अशोक कुमार चौधरी की अध्यक्षता में गठित कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सीएम नीतीश कुमार को सौंपी थी, जिसके बाद इसे लागू किये जाने की संभावना जताई जा रही थी. अशोक चौधरी कमेटी की सिफारिशों को लागू करने से राज्य सरकार के खजाने पर बोझ पड़ेगा, लेकिन अगले साल होने वाले चुनाव को देखते हुए इसे नीतीश कुमार का मास्टरस्ट्रोक कहा जा रहा है.
बिहार के विभिन्न कार्यालयों में संविदा पर पांच लाख से अधिक कर्मचारी कार्यरत हैं. इनमें कार्यालय सहायक से लेकर कंप्यूटर ऑपरेटर तक शामिल हैं.
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