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UGC की बड़ी पहल: अब बिना वित्तीय पारदर्शिता शिक्षण संस्थानों को नहीं मिलेगा फंड

देश भर के उच्च शिक्षण संस्थानों में वित्तीय पारदर्शिता कायम करने को लेकर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने बड़ी पहल की है। इसके तहत संस्थानों को अब सरकार से मिलने वाली राशि और उसके खर्च का पूरा ब्योरा ऑनलाइन करना होगा। जो संस्थान ऐसा करने में विफल रहते हैं, उन्हें आगे से कोई भी वित्तीय मदद नहीं मिलेगी।

यूजीसी ने वित्तीय पारदर्शिता को लेकर यह पहल उस समय की है, जब उच्च शिक्षण संस्थानों से ऐसी अनियमितताओं की शिकायतें लगातार बढ़ रही है। हाल ही में इलाहाबाद विश्वविद्यालय के एक ऐसे ही मामले में मानव संसाधन विकास मंत्रलय को दखल देना पड़ा है। यूजीसी का मानना है कि संस्थानों में वित्तीय पारदर्शिता का एक मजबूत मॉड्यूल खड़ा कर ऐसी शिकायतों से बचा जा सकेगा। उच्च शिक्षण संस्थानों को जारी नोटिस में यूजीसी ने संस्थानों से पीएफएमएस (पब्लिक फाइनेंशियल मैनेजमेंट सिस्टम) से जुड़ने की मांग की है। साथ ही प्रत्येक संस्थानों से ईएटी (एक्सपेंडिचर, एडवांस और ट्रांसफर) मॉड्यूल के तहत मिलने वाली राशि का ब्योरा रखने को कहा है।

यूजीसी के मुताबिक इसके तहत संस्थानों को उन लाभार्थियों को भी ब्योरा देना होगा, जिन्हें छात्रवृत्ति सहित शोध के क्षेत्र में मानदेय दिया जाता है। इसके साथ ही इस व्यवस्था के तहत पैसों का पूरा लेन-देन ऑनलाइन ही करना होगा। यानी पैसा सीधे लाभार्थियों के खाते में डालना पड़ेगा।

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