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शिक्षक भर्ती जिला वरीयता केस में आज की सुनवाई के सम्पूर्ण सार


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⚫️ इस केस में याचिकाकर्ताओं ने ज़िला वरीयता के नियम को चुनौती देते हुए, इस नियम के तहत हुई 15000_भर्ती 16448_भर्ती तथा 12460_भर्ती को रद्द करने की माँग की है।

⚫️ इस केस में कल (25.07.2019) याची की ओर से सीनियर अधिवक्ता श्री अनिल तिवारी जी ने अपनी बहस पूरी की तथा वह सी॰जे॰ साहब को संतुष्ट करने में काफ़ी हद तक सफल भी रहे थे।

⚫️ आज ज़िला वरीयता केस की सुनवाई सुबह लगभग 10:15 पर शुरू हुई।

⚫️ सर्वप्रथम सरकार की ओर से महाधिवक्ता (A.G.) ने बहस प्रारम्भ की, बमुश्किल 25 मिनट की इस बहस में A.G. साहब ने ज़िला वरीयता के नियम को सही बताते हुए ज़िला वरीयता के पक्ष में तर्क दिए। अंत में A.G. साहब ने कहा कि इस मुद्दे पर विस्तृत रूप से डाक्टर एल॰पी॰ मिश्रा जी बहस करेंगे और हम भी उनसे एग्री करेंगे।

⚫️ इसके बाद कुलदीप_एंड_टीम की ओर से एंगेज किए गये प्रतिष्ठित अधिवक्ता श्री एल॰पी॰ मिश्रा जी ने बहस प्रारम्भ की। मिश्रा जी ने सिलसिलेवार रूप से निम्नलिखित बिंदुओ पर बहस की :-

        1️⃣ सर्वप्रथम मिश्रा जी ने कोर्ट को बताया कि सभी याचिकाकर्ताओं ने सम्बंधित भर्ती में भाग लिया और चयन पाने में असफल होने के बाद उसी भर्ती को रद्द करने की माँग की है। सुप्रीम कोर्ट के विभिन्न आदेशों के आलोक में यह स्पष्ट है कि भर्ती प्रक्रिया में भाग लेकर असफल होने के उपरांत कोई अभ्यर्थी उसी भर्ती को चुनौती नही दे सकता है।

        2️⃣ इसके बाद इलाहबाद हाईकोर्ट की डबल बेंच के उस आदेश दिखाया गया जिसमें ज़िला वरीयता को चुनौती देने वाली याचिका को डबल बेंच द्वारा ख़ारिज कर दिया गया था।

        3️⃣ इसके बाद कोर्ट को 2013 बैच से पहले और 2012 बैच के बाद बी॰टी॰सी॰ ट्रेनिंग का आवेदन फ़ॉर्म भरने के बारे में जानकारी देते हुए बताया गया कि 22 जुलाई 2013 के बाद से उत्तर प्रदेश के किसी भी ज़िले से बी॰टी॰सी॰ ट्रेनिंग करने की छूट अभ्यर्थी को दी जाती है।

        4️⃣ इसके पश्चात श्री एल॰पी॰ मिश्रा जी ने कोर्ट को विभिन्न स्टैचूटरी तथा कॉन्स्टिटूशनल प्प्रिसक्रिप्शन से अवगत कराते हुए कहा कि चाहे कोई ऐक्ट या कोई यूनिवर्सल स्कीम हो, हर योजना और प्रावधान का केन्द्र वह छोटा बच्चा है जिसे प्राइमरी एजुकेशन दी जानी है और वह तभी सम्भव है जब अध्यापक इतना सक्षम हो जो उस बच्चे के घर में प्रयोग की जाने वाली भाषा को प्रयोग में लाना जानता हो। लोकल डाइयलेक्ट तथा घर की भाषा के महत्व को निम्नलिखित दस्तावेज़ों से न्यायालय को समझाया गया-
                 ▶️ सर्व शिक्षा अभियान
                 ▶️ आर॰टी॰ई॰ ऐक्ट
                 ▶️ यूनेस्को रिपोर्ट
                 ▶️ कोठारी कमीशन
                 ▶️ राष्ट्रीय शिक्षा नीति
                 ▶️ एन॰सी॰एफ़॰ 2005
                 ▶️ विभिन्न दार्शनिकों के मत
                 ▶️ हिन्दी भाषा तथा मातृभाषा
                 ▶️ हिन्दी भाषा के डाइयलेक्ट

        5️⃣ उपरोक्त पर जज साहब को कन्वेंस करने के बाद श्री एल॰पी॰ मिश्रा जी ने सुप्रीम कोर्ट के विभिन्न आदेशो का हवाला देते हुए बताया कि यदि ज़िला वरीयता का नियम असंवैधानिक घोषित किया भी जाता है तब भी वह जज्मेंट आने की तारीख़ से लागू होगा और उससे पहले विज्ञापित इन तीनो भर्तीयों पर इसे लागू नही किया जा सकता। इस बिन्दु पर सी॰जे॰ साहब पूर्णतया सहमत दिखे।

        6️⃣ अपनी लगातार 1 घण्टे से अधिक की बहस में मिश्रा जी ने और भी काफ़ी बिंदुओं को जज साहब के समक्ष रखा और तीनो भर्तीयों को लगभग सुरक्षित कर दिया।

⚫️ वास्तव में आदेश क्या होगा यह दावा करना कठिन है लेकिन इस कठिन केस में भी काफ़ी मेहनत से तैयार किए गए काउण्टर के बल पर श्री एल॰पी॰ मिश्रा जी ने शानदार ऑर्ग्युमेंट किया। हमें अटल विश्वाश है कि तीनों भर्ती पूर्णतया सुरक्षित रहेंगी और किसी भी अध्यापक की नौकरी नही जाएगी।

धन्यवाद।
#कुलदीप_एंड_टीम

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