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विवि व डिग्री कॉलेजों में चार से शुरू होंगी ऑनलाइन कक्षाएं, नए सत्र 2020-21 का शैक्षिक कैलेंडर घोषित किया गया

लखनऊ : राज्य विश्वविद्यालयों व डिग्री कॉलेजों में स्नातक व परास्नातक के द्वितीय और तृतीय वर्ष के विद्याíथयों की ऑनलाइन कक्षाएं चार अगस्त से शुरू होंगी। सीनियर स्टूडेंट की ऑनलाइन पढ़ाई शुरू करवाने के लिए सभी विश्वविद्यालयों के कुलपति सोमवार से लेकर 31 जुलाई तक विभागाध्यक्ष, डीन व शिक्षकों को परिसर बुलाकर ई-कंटेंट, वीडियो लेक्चर तैयार करवाएंगे और उसे अपनी वेबसाइट पर अपलोड करवाएंगे। वहीं तीन अगस्त तक सभी विद्याíथयों के अभिभावकों से संपर्क कर उनसे पढ़ाई को लेकर फीडबैक लिया जाएगा। इस बार दाखिले की पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन ही होगी। स्नातक प्रथम वर्ष में प्रवेश प्रक्रिया 15 सितंबर तक पूरी होगी और एक अक्टूबर से पढ़ाई शुरू होगी। इसी तरह परास्नातक प्रथम वर्ष में दाखिले की प्रक्रिया 31 अक्टूबर तक पूरी होगी और पढ़ाई एक नवंबर से शुरू होगी। उच्च शिक्षा विभाग ने नए सत्र 2021-21 का शैक्षिक कैलेंडर घोषित कर दिया है।

अभी कोरोना आपदा के कारण कक्षाएं ऑनलाइन ही चलेंगी। आगे अगर स्थिति बेहतर हुई तो एक अक्टूबर से परिसर में पूर्व की भांति कक्षाएं चलाई जाएंगी। पाठ्यक्रम के सापेक्ष अभी शुरूआत में कम से कम प्रथम 45 दिनों तक सिर्फ ऑनलाइन पढ़ाई होगी। सिमुलेशन साफ्टवेयर व वर्चुअल लैब की मदद से प्रैक्टिकल करवाया जाएगा। मिड टर्म व बैक पेपर की परीक्षाएं पांच दिसंबर 2020 तक पूरी होंगी। परास्नातक प्रथम वर्ष की विषम सेमेस्टर परीक्षाएं 15 मार्च 2021 तक होंगी। ऐसे संस्थान जहां वार्षकि परीक्षा प्रणाली लागू है वहां परास्नातक प्रथम वर्ष की वार्षकि परीक्षाएं एक मई से 15 जून तक होंगी। सम सेमेस्टर के लिए मिड टर्म परीक्षाएं 30 अप्रैल तक संपन्न होंगी। परास्नातक की सम सेमेस्टर की परीक्षाएं 30 जून तक होंगी। वहीं वार्षकि परीक्षाओं का परिणाम 15 जून तक घोषित कर दिया जाएगा।


सितंबर तक स्नातक प्रथम वर्ष में होंगे दाखिले


अक्टूबर तक परास्नातक प्रथम वर्ष में दाखिले होंगे


अगस्त तक ई-कंटेंट व प्रवेश की तैयारी होगी


परीक्षाएं न हो पाएं तो मिड टर्म व सेशनल के अंकों से होंगे पास


उच्च शिक्षा विभाग की ओर से सभी उच्च शिक्षण संस्थानों को निर्देश दिए गए हैं कि वह कोरोना आपदा से सबक लेकर ऐसी पद्धति विकसित करें कि परीक्षाएं न हो पाने की स्थिति में विद्याíथयों को पास कर अगली कक्षा में भेजा जा सके। इसके लिए अब साल भर सतत मूल्यांकन होगा। मिड टर्म, सेशनल परीक्षा, ट्यूटोरियल, आइसनमेंट, प्रोजेक्ट के सापेक्ष विषयवार अंकों का ऐसा विभाजन हो कि पूर्णांक के सापेक्ष इनके अंक 50 प्रतिशत तक हों। मिड टर्म, सेशनल परीक्षा व ट्यूटोरियल इत्यादि में मिले कुल अंक का 25 फीसद से लेकर 50 फीसद तक अंक उस प्रश्नपत्र की वार्षकि व सेमेस्टर परीक्षा में जोड़कर परिणाम तैयार किया जाए।

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