अंतिम वर्ष या सेमेस्टर की परीक्षाओं के मामले की आज हुई सुनवाई को अब मगलवार, 18 अगस्त 2020 तक के लिए टाल दिया गया है। आज हुई सुनवाई के दौरान छात्रों का पक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी ने रखा। वहीं युवा सेना की एक अन्य सम्बन्धित मामलेे याचिका में वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने छात्रों का पक्ष रखा। वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने कहा कि 29 अप्रैल को देश भर में कोरोना मामलों की संख्या 1137 थी, लेकिन आज लाखों में है। महामारी की स्थिति भयावह होती जा रही है। ऐसे में परीक्षाएं कैसे आयोजित की जा सकती हैं।
सम्बन्धित मामले की सुवनाई के दौरान छात्रों का पक्ष रख रहे वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने कहा कि जब यूजीसी स्वयं कहता है कि ये एडवाइजी है तो इसे स्थानीय जरूरतों के हिसाब से बदला जा सकता है। युवा सेना की याचिका में पक्ष रख रहे दीवान ने कहा कि आपदा प्रबंधन अधिनियम को राज्य और केंद्रशासित प्रदेश डीएम प्रावधानों को सख्त बना सकते हैं, लेकिन इसे कमजोर नहीं कर सकते। ये यूजीसी के दिशा-निर्देश राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा पालन किए जाने के लिए एक न्यूनतम मानक की सख्त व्यवस्था है। वे इसे संकीर्ण नहीं कर सकते हैं।
अंतिम वर्ष या सेमेस्टर की परीक्षाओं के मामले की सुनवाई चल रही है। उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश जस्टिस अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली खण्डपीठ यूजीसी गाइडलाइंस मामले की सुनवाई कर रही है। इस मामले में यूजीसी एवं सरकार का पक्ष सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता रख रहे हैं, जबकि छात्रों का पक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी रख रहे हैं। सुनवाई के आरंभ में उन्होंने कहा कि जब संस्थान कक्षाओं का आयोजन नहीं कर पा रहे हैं तो परीक्षाएं कैसे आयोजित हो पाएंगे। एमएचए ने हाल ही जारी अनलॉक 3 में शिक्षण संस्थानों को 31 अगस्त 2020 तक बंद रखने के निर्देश दिये हैं। उन्होंने कहा कि सामान्य हालात में कोई भी परीक्षाओं के विरोध में नहीं है। हम महामारी के बीच परीक्षाओं का विरोध कर रहे हैं। डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा "बिना टीचिंग के परीक्षा कैसे? यूजीसी का निर्णय तानाशाही भरा है।"


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