प्रयागराज : उप्र लोकसेवा आयोग में सपा शासनकाल की पांच साल की भर्तियों की जांच सीबीआइ कर रही है। प्रतियोगियों ने बहुप्रतीक्षित मांग पूरी होने पर खुशी जताई थी और भर्ती में भ्रष्टाचार करने वालों के दंडित होने की उम्मीदें भी संजोयी। जांच के करीब तीन साल में सीबीआइ ठीक से तीन कदम नहीं चल सकी है। अब तक पांच भर्ती परीक्षाओं में पीई और एक एफआइआर अज्ञात लोगों के विरुद्ध हो सकी है। टीम कुछ समय के अंतराल पर आकर आयोग में अभिलेख खंगालती है, अभ्यर्थियों से भर्ती से जुड़े सुबूत जुटाती आ रही है। कुछ अफसर व कर्मचारियों से पूछताछ ही हो सकी है।
यूपीपीएससी की सभी भर्तियों में भ्रष्टाचार व भाई-भतीजावाद का आरोप मुखर होने पर योगी सरकार ने जुलाई में सीबीआइ जांच का ऐलान किया और 21 नवंबर 2017 को केंद्र सरकार के काíमक व पेंशन मंत्रलय की ओर से अधिसूचना जारी की गई। जांच की जिम्मेदारी राजीव रंजन एसपी सीबीआइ भष्टाचार निरोधक प्रकोष्ठ शाखा प्रथम को मिली। उन्होंने 25 जनवरी 2018 को लखनऊ में पीई दर्ज करके जांच शुरू की। 31 जनवरी 2018 को राजीव रंजन यूपीपीएससी पहुंचे और कागजों की तलाशी ली। जांच को रोकने का तत्कालीन अध्यक्ष व सदस्यों ने प्रयास किया लेकिन सफलता नहीं मिली। जांच एजेंसी ने शुरुआत में तेजी से कार्य करते हुए पांच मई 2018 को आयोग के विरुद्ध पहला मुकदमा दर्ज किया। उसी के बाद आयोग में गहन तलाशी लेकर अभिलेख सील किए । अपर निजी सचिव भर्ती 2010 में गड़बड़ी मिली तब उप्र शासन को पत्र लिखकर जांच की अनुमति मांगी थी। चार अक्टूबर 2018 को शासन ने अपर निजी सचिव भर्ती परीक्षा की जांच सीबीआइ को सौंप दी गई। उसी बीच जांच अधिकारी राजीव रंजन का तबादला उनके गृह प्रदेश में कर दिया गया। उसके बाद से जांच जैसे तैसे चल रही है।
यह भर्तियां निशाने पर
जांच टीम ने फरवरी 2019 को एपीएस भर्ती 2010, जुलाई 2020 को समीक्षा अधिकारी सहायक समीक्षा अधिकारी 2013, सम्मिलित राज्य अवर अधीनस्थ सेवा परीक्षा 2013, उप्र प्रांतीय न्यायिक सेवा 2013, मेडिकल अफसर परीक्षा 2014 की पीई दर्ज किया है।
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