👇Primary Ka Master Latest Updates👇

इलाहाबाद हाईकोर्ट की टिप्पणी:- पत्नी और संतान को गुजारा भत्ता देना विधिक जिम्मेदारी

प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि भारतीय समाज में विवाह महत्वपूर्ण है। माता-पिता का सपना होता है कि बेटी को ससुराल में मायके से अधिक प्यार व सुख मिले। जब बेटी पर जुल्म होता है तो मां-बाप के सपने टूटते हैं। इससे उन्हें गहरा सदमा लगता है। कोर्ट ने कहा कि हंिदूुओं में विवाह एक धाíमक अनुष्ठान होता है। उसी के तहत बेटी दूसरे को सौंपी जाती है। उसका (प}ी का) भरण-पोषण करना न केवल विधिक, नैतिक व सामाजिक जिम्मेदारी है, बल्कि पति की ओर से शादी में दिये गये वचनों की वचनबद्धता भी है।


न्यायमूíत सौरभ श्याम शमशेरी ने यह आदेश अश्वनी की याचिका पर दिया है। कोर्ट ने परिवार न्यायालय झांसी के पत्नी व पुत्री को 3500 रुपये प्रतिमाह भरण-पोषण देने के आदेश को वैध करार दिया है। साथ ही आदेश की वैधता की चुनौती याचिका खारिज कर दी है। याची की शादी ज्योति यादव से 29 सितंबर 2015 को हुई थी। दहेज के लिए प्रताड़ित करने पर ज्योति ने एफआइआर दर्ज कराई है। परिवार न्यायालय ने पति अश्वनी को पत्नी को 2500 व पुत्री को एक हजार रुपये प्रतिमाह गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया है।

हंिदूुओं में विवाह धाíमक अनुष्ठान है। पत्नी का भरण-पोषण करना पति का न केवल विधिक, नैतिक व सामाजिक जिम्मेदारी है, बल्कि पति की ओर से विवाह के दौरान दिए गए वचनों की वचनबद्धता भी है।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

Politics news of India | Current politics news | Politics news from India | Trending politics news,