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मिसाल: एकल परिषदीय विद्यालय को डॉ. सुनील ने बनाया आदर्श

बलिया:
अध्यापकों के लिए संघर्ष कर रहे शहरी क्षेत्र के विद्यालयों के बीच बेहतर संचालित हो रहे विद्यालयों की भी कमी नहीं है। इसका जीवन्त उदाहरण है नगर क्षेत्र का प्राथमिक विद्यालय वजीरापुर एकल विद्यालय होने के बावजूद प्रधानाध्यापक डॉ सुनील गुप्त के संघर्षों की देन है कि यहां प्रति वर्ष लगभग 150 बच्चों का नामांकन रहता है। यही नहीं विद्यालय की गणना जनपद के उत्कृष्ट विद्यालयों में होती है। डॉ सुनील को बेहतरीन
शिक्षण के लिए विभिन्न पुरस्कार भी मिल चुके हैं।

एकल विद्यालय पर शिक्षा की लौ जलाने को संकल्पित डॉ सुनील को इस प्रयास में विभिन्न व्यक्तिगत परेशानियों का भी सामना करना पड़ता है। शासन द्वारा स्वीकृत 14 आकस्मिक अवकाश भी हर साल उपयोग नहीं हो पाते। यहां तक कि कई बार शारीरिक अस्वस्थता से जूझते हुए भी विद्यालय जाना पड़ता है। बावजूद इसके डॉ सुनील ने कभी हार नहीं मानी। इसमें कोई सन्देह नहीं कि यदि प्रावि वजीरापुर को और शिक्षक मिल जाए तो विद्यालय की गणना प्रदेश के चुनिन्दा विद्यालयों में हो सकती है।a

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