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शादीशुदा बेटी भी मृतक आश्रित कोटे में नौकरी की हकदार: हाईकोर्ट

प्रयागराज : इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि विवाहिता पुत्री भी मृतक आश्रित कोटे में अनुकंपा नियुक्ति पाने की हकदार है। विवाहित पुत्र की तरह वह भी परिवार की सदस्य है। हाई कोर्ट ने विवाहिता पुत्री होने के आधार पर आश्रित कोटे में नियुक्ति से इन्कार करने संबंधी पीएसी कमांडेट लखनऊ के आदेश को रद कर दिया है। इसके साथ ही नियुक्ति पर विचार करने का निर्देश दिया है।
अदालत ने कहा है कि विवाहिता पुत्री होने के कारण नियुक्ति देने से इन्कार नहीं किया जाए। यह आदेश न्यायमूíत एमसी त्रिपाठी ने संजू यादव की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है। याचिका पर अधिवक्ता राम विलास यादव ने बहस की। उनका कहना था कि याची के पिता पीएसी में हेड कांस्टेबल थे। सेवाकाल में उनकी मृत्यु हो गई थी। पत्नी और शादीशुदा बेटी ही घर में रह गई। याची की मां ने प्रार्थना पत्र दिया कि उसकी बेटी को आश्रित कोटे में नियुक्ति दी जाए, जिसे इस आधार पर निरस्त कर दिया गया कि याची शादीशुदा बेटी है, इसलिए नियुक्ति पाने की हकदार नहीं हैं। याची के अधिवक्ता का कहना था कि हाई कोर्ट ने विमला श्रीवास्तव केस में शादीशुदा बेटी को भी आश्रित की बेटी माना है। इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने विशेष अनुमति याचिका भी खारिज कर दी है। ऐसे में इस आधार पर अर्जी खारिज नहीं की जा सकती।

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