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DBT डाटा फीडिंग के चक्कर में स्कूलों में पढ़ाई चौपट

औरैया। परिषदीय स्कूलों में बच्चों की डाटा फीडिंग का काम पढ़ाई में बाधक बना है। वजह यह है कि स्कूलों के शिक्षक पढ़ाने के बजाय डाटा फीडिंग कराने में व्यस्त हैं। बीएसए ने शिक्षकों को शासन के निर्देश पर डाटा फीडिंग कराने के निर्देश दिए हैं।
दरअसल, शासन ने परिषदीय स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को यूनिफार्म, स्वेटर व जूता-मोजा की रकम अभिभावकों के खाते में भेजने का निर्णय लिया है। इसके लिए डीबीटी से अभिभावकों के खाता व आधार की सूचना पोर्टल पर फीड किया जा रहा है। जिले में 1265 परिषदीय विद्यालय हैं। इसमें एक लाख 16 हजार बच्चे पंजीकृत हैं।

इन बच्चों को शासन की ओर से अब तक यूनिफार्म, जूता, मोजा, स्वेटर, स्कूल बैग निशुल्क दिया जाता रहा है, लेकिन इस बार एमडीएम के कनवर्जन कॉस्ट की तरह यूनिफार्म का पैसा अभिभावकों के खाते में भेजा जा रहा है। जिसके लिए 1056 रुपये खाते में भेजने के लिए डाटा भरा जा रहा है। इसके कारण शिक्षकों का पूरा दिन इसी में गुजर रहा है। ऐसे में स्कूल खुलने के बाद भी बच्चों की पढ़ाई नहीं हो पा रही है।

पूरा दिन डाटा अपलोड में बीत रहा

प्राथमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष अखिलेश चंद्र यादव का कहना है कि शिक्षकों के पास कंप्यूटर नहीं है। इस कारण शिक्षकों को छात्रों का ब्यौरा मोबाइल से डीबीटी एप पर अपलोड करना पड़ रहा है। वहीं नेटवर्क की समस्या बनी रहती है। पूरा दिन डाटा अपलोड करने में बीत रहा है। इससे बच्चों की पढ़ाई बाधित हो रही है। डीबीटी का कार्य पूरा करने के चक्कर में शिक्षक इन दिनों बच्चों को होमवर्क भी नहीं दे पा रहे हैं।

वर्जन

अभिभावकों के खाता व आधार को सूचना पोर्टल पर अपलोड करने का कार्य चल रहा है। इस कार्य के लिए शिक्षकों को जिम्मेदारी सौंपी गई है। शासन के निर्देश के अनुसार कार्रवाई चल रही है। इस बार डीबीटी के माध्यम से बच्चों के अभिभावकों के खाते में पैसा भेजा जाएगा। -चंदना राम इकबाल यादव, बीएसए

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