उत्तर प्रदेश में new education policy 2020 लागू करने से पहले राज्य पाठ्यचर्या की रूपरेखा (एससीएफ) तैयार की जा रही है। यह जिम्मेदारी राज्य शिक्षा संस्थान को मिली है और विशेषज्ञों की टीम भी गठित की गई है। नई नीति के परिप्रेक्ष्य में यूपी में स्कूली शिक्षा का क्या स्वरूप होगा और उसे किस प्रकार बच्चों तक पहुंचाया जाए, इसकी रणनीति बनाई जाएगी। इसके तहत शिक्षा की प्रक्रिया, पाठ्यक्रम, किताबें, पठनपाठन, समुदाय की भूमिका, मूल्यांकन प्रक्रिया, मानवीय नैतिक मूल्य समाहित करने जैसे बिंदु तय किए जाएंगे।

नई नीति में शिक्षण माध्यम के रूप में पहली से पांचवीं तक मातृभाषा का इस्तेमाल करेंगे। स्कूलों में 10+2 फार्मेट के स्थान पर 5+3+3+4 farmet को शामिल किया जाएगा। इसके तहत पहले पांच साल में प्री-प्राइमरी के तीन साल और कक्षा एक और कक्षा दो साल शामिल होंगे। कक्षा 3-5 और कक्षा 6 से 8 तक के तीन-तीन साल होंगे। चौथा चरण कक्षा 9 से 12वीं तक चार साल का होगा। पहले जहां 11वीं से विषय चुनने की आज़ादी थी, वहीं अब 9वीं कक्षा से रहेगी। राज्य शिक्षा संस्थान के प्राचार्य आशुतोष दुबे ने बताया कि राज्य पाठ्यचर्या की रूपरेखा तैयार करने के लिए विशेषज्ञों की टीम बनाई गई है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति
- - राज्य शिक्षा संस्थान ने कक्षा एक से 12 तक के लिए शुरू की कवायद
- - स्थानीय भाषा और संदर्भों के आधार पर बच्चों को पढ़ाने पर रहेगा जोर
विशेषज्ञों से परिचर्चा के बाद अंतिम रूप
राज्य पाठ्यचर्या की रूपरेखा का ड्राफ्ट तैयार करने के बाद उस पर व्यापक चर्चा होगी। राज्य शिक्षा संस्थान राष्ट्रीय स्तर के विद्वानों, स्कूलों के प्रधानाचार्यों, शिक्षकों आदि से चर्चा कर इसे अंतिम रूप देगा।

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