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किताबों पर भी पड़ रही महंगाई की मार, अभिभावकों की जेब हो रही खाली

मेरठ। वित्त वर्ष 2022-23 की शुरुआत महंगाई ने बड़ा झटका दिया है। खाद्य पदार्थ, दूध, पेट्रोल, गैस सिलिंडर के बाद अब किताबों पर भी 30 से 40 प्रतिशत दाम बढ़ गए हैं। पुस्तक विक्रेताओं को दुकानों पर सुबह से शाम तक लोग पहुंच रहे हैं। कागज 55 प्रतिशत महंगा हो गया है। दुकानों पर हर कक्षा के सेट का रेट फिक्स कर दिया गया है।
पब्लिशिंग इंडस्ट्री को कोविड के कारण तीन साल जबरदस्त नुकसान हुआ है। कागज विक्रेता, पब्लिशर्स, प्रिंटर्स, डिस्ट्रीब्यूटर, रिटेलर्स सभी की पेमेंट रुकी हैं। अब बाजार में अस्थिरता होने के प्रभाव भी बाजार में दिख रहा है। पुस्तक विक्रेताओं के अनुसार कुछ पुराना स्टॉक खराब हो गया है स्याही से लेकर छपाई सब महंगी हो गई।

वित्त वर्ष 2023-24 में आने वाली नई शिक्षा पालिसी के कारण पब्लिशर्स डिमांड, के अनुसार ही छपाई कर माल की सप्लाई कर रहे हैं। ऐसे में किताबों के दामों में भी इजाफा हो गया।

पुराने प्रिंट पर लगाए नए स्टीकर

कुछ पुस्तक विक्रेताओं ने पुरानी छपी हुई किताबों पर नए प्रिंट के स्टीकर लगा दिए हैं। किताबों का स्टॉक सीमित होने के कुछ सीबीएसई और आईसीएसई स्कूलों की पुस्तकें भी बाजार में उपलब्ध नहीं है। प्रिंट रेट पर भी ज्यादातर दुकानदार किताबें बेच रहे हैं। पूर्व में जहाँ हर पुस्तक विक्रेता किताबों पर छूट देता था. इस बार सिर्फ तीन से चारही पुस्तक विक्रेता 10 प्रतिशत तक छूट दे रहे हैं।

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