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अब तो पुरुष भी मांगेंगे आरक्षण; पीएम मोदी जी ने छात्रों को दिया P-3 का मंत्र, पढ़ें बड़ी बातें

PM Modi Pariksha Pe Charcha (PPC 2022) Exam Tips for Students: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार, 01 अप्रैल को विद्यार्थियों, शिक्षकों और अभिभावकों से परीक्षा पे चर्चा की। विद्यार्थियों के मन से बोर्ड परीक्षा का तनाव दूर भगाने के लिए आयोजित इस कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कई सारे टिप्स साझा किए। पीएम ने अमूल्य जीवन का सामर्थ्य पहचानने की बात पर जोर देते हुए कहा कि परीक्षाओं को एक सजह प्रक्रिया के तौर पर देखा जाना चाहिए। परीक्षा से जिंदगी नहीं बनती है। यह सिर्फ एक पड़ाव होती हैं। पढ़िए पीएम मोदी के संबोधन की खास बातें —

बेटियों तेजी से आगे बढ़ रहीं, एक दिन पुरुष भी आरक्षण मांगेंगे

परीक्षा पे चर्चा के दौरान, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हल्की-फुल्की और मजाकिया बातों पर सभी छात्र और शिक्षक जोर-जोर से ठहाका लगाने लगे। शिक्षा और राष्ट्रीय नेतृत्व के क्षेत्र में आगे बढ़तीं बेटियों का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि जल्द ही ऐसा समय भी आएगा कि महिलाओं की जगह पुरुष आरक्षण मांगने लगेंगे। अपने संबोधन के दौरान पीएम मोदी ने आसान शब्दों कई सामाजिक समस्याओं को भी उठाया और नई पीढ़ी को उनके उन्मूलन के लिए अपना संदेश भी दिया।

प्रधानमंत्री ने युवा छात्रों को दिया पी-3 का मंत्रपीएम मोदी ने परीक्षा पे चर्चा के दौरान स्वच्छ भारत अभियान की सफलता का जिक्र करते हुए उसका क्रेडिट बच्चों को दिया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि स्वच्छता की मेरी भावनाओं को चार चांद लगाने का काम देश के बच्चों ने किया है। इसमें आज हम जहां पहुंचे हैं, उसका सबसे ज्यादा क्रेडिट मैं बालक-बालिकाओं को देता हूं। उन्होंने कहा कि ऐसे कई बच्चे हैं, जिन्होंने कई बार अपने परिजनों को इधर-उधर कूड़ा फेंकने पर टोका है। इसके साथ ही पीएम मोदी ने पी-3 का मंत्र भी दिया। उन्होंने कहा कि हमें दुनिया में P3 movement चलाने की जरूरत है। ये P3 movement यानी Pro-Planet-People से ज्यादा से ज्यादा लोग जुड़ेंगे, तो इससे हमें लाभ मिलेगा।

परिजन, शिक्षकों के पास समय नहीं, खुद को जानना जरूरी

परीक्षा पे चर्चा 2022 के दौरान प्रधानमंत्री ने आत्म विश्लेषण करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि आप स्वयं के विषय पर जरूर विश्लेषण कीजिए। कामकाजी माता-पिता का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि अब बच्चा दिन भर क्या करता है, उसके लिए मां- बाप के पास समय नहीं है। वहीं, शिक्षक को केवल सिलेबस से लेना देना है कि मेरा काम हो गया, मैंने बहुत अच्छी तरह पढ़ाया, अब बस। लेकिन बच्चे का मन कुछ और करता है। जब तक हम बच्चों की शक्ति, सीमाओं, रुचियों और उनकी अपेक्षाओं को जानने का प्रयास नहीं करते हैं, तो वे आगे नहीं बढ़ पाते हैं, क्योंकि उन्हें सपोर्ट नहीं मिल पाता। प्रधानमंत्री ने अभिभावकों और शिक्षकों से अपील की कि आप अपने मन की, अपनी अपेक्षाएं बच्चे पर न थोपें, उन पर बोझ न बढ़ाए।

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