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बेसिक के गुरूजी छह साल पहले की कीमत पर दे रहे फल, कैसे सेहतमंद बनेंगे नौनिहाल

रायबरेली। मध्याहन भोजन योजना के तहत छात्र-छात्राओं को प्रत्येक सोमवार को ताजा व मौसमी फल दिए जाते है। इसके लिए छह साल पहले चार रुपये प्रति छात्र की दर निर्धारित की गई थी। लेकिन अब उस धनराशि से फल वितरण कर पाना नामुमकिन है।
इन छह सालों में फलों के दाम आसमान पर पहुंच गए हैं। कोई ऐसा फल नहीं है, जो चार रुपये में मिल जाए। ऐसे में कहीं शिक्षक अपनी जेब से धन लगा देते हैं तो कई स्कूलों में बच्चों को फल से वंचित कर दिया जाता है। विद्यालयों में फल न बाटे जाने की शिकायतें अक्सर आती हैं। बजट छह साल पुराना है और महंगाई हर रोज बढ़ती जा रही है, जिससे बच्चों को मध्याहन भोजन के साथ अतिरिक्त पोषण तत्व यानी ताजा और मौसमी फल दिए जाने पर संकट मंडरा रहा है।

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