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राजकीय स्कूलों में कैसे सुधरे शिक्षा, जब शिक्षक ही नहीं

एटा। राजकीय विद्यालयों की शिक्षा में सुधार की गुजाइश नहीं दिख रही है। यहां पर महज 90 शिक्षक और 15 प्रवक्ता ही कार्यरत है। जबकि पद 349 है, ऐसे में बच्चों की पढ़ाई का कोरम पूरा किया जा रहा है। वहीं जीजीआईसी एटा को छोड़कर अन्य विद्यालयों में प्रभारी प्रधानाचायों से ही काम चलाया जा रहा है। शिक्षकों की कमी की वजह से शिक्षा के स्तर में सुधार भी नहीं हो पा रहा है।

जिला में 25 राजकीय कॉलेज संचालित हो रहे हैं, इनमें 13 इंटर कॉलेज और 12 हाईस्कूल तक हैं। इन विद्यालयों में 122 प्रवक्ताओं के पद सृजित है, जब कि वर्तमान में महज 15 प्रवक्ता ही कार्यरत हैं। इसके अलावा 122 सहायक अध्यापकों के पद हैं, इनमें से 90 पदों पर ही तैनाती हैं। शिक्षकों की कमी के चलते राजकीय विद्यालयों को शिक्षा व्यवस्था बेपटरी चल रही है। जब शिक्षक ही नहीं हैं तो बच्चों की पढ़ाई कैसे हो सकेगी। इंटर तक के 13 विद्यालयों में छह कक्षाएं चलती है, इनमें प्रधानाचार्य सहित दो-दो, तीन-तीन शिक्षकों से काम चलाया जा रहा है। यही वजह है कि शिक्षा का स्तर राजकीय विद्यालयों का गिर रहा है।

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