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मुक्त विश्वविद्यालय को नैक से मिला बी प्लस ग्रेड

मुक्त विश्वविद्यालय को नैक से मिला बी प्लस ग्रेड

● 1998 में स्थापित विवि के लिए रजत जयंती वर्ष में मिला तोहफा
● अब भौतिक संसाधनों के साथ बढ़ेगी शिक्षा की गुणवत्ता वीसी

जल्द मिलेगी ऑनलाइन प्रसारण की सुविधा

अब मुक्त विश्वविद्यालय को यूजीसी से 12बी की मान्यता मिलने में आसानी होगी, जिससे भौतिक संसाधन बढ़ने के साथ शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ेगी। विश्वविद्यालय द्वारा जारी अंकतालिका और उपाधि पर नैक अक्रीडीटेड यूनिवर्सिटी लिखा मिलेगा। साक्षात्कार या अन्य विश्वविद्यालयों में प्रवेश लेने वाले शिक्षार्थियों की उपाधि की मान्यता बढ़ेगी। विश्वविद्यालय का सेंटर फॉर ऑनलाइन एजुकेशन विद्वान शिक्षकों से संबंधित पाठ्यक्रमों की रिकॉर्डिंग करवा कर ऑनलाइन प्रसारण की दिशा में तेजी से कार्य कर रहा है। जिसका लाभ पूरे उत्तर प्रदेश के छात्रों को मिल रहा है।

प्रयागराज, संवाददाता । उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय को पहली बार राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (नैक) की मान्यता मिल गई है। नैक टीम के निरीक्षण और मूल्यांकन के आधार पर विश्वविद्यालय को बी प्लस ग्रेड दिया गया है। इस उपलब्धि से विश्वविद्यालय के भौतिक संसाधन बढ़ेंगे, जिसका लाभ सीधे तौर पर उत्तर प्रदेश के 70 हजार से अधिक अध्ययनरत शिक्षार्थियों को होगा। विश्वविद्यालय की ओर से की गई पुनर्विचार याचिका पर निर्णय करते हुए नैक की ओर से विश्वविद्यालय को ईमेल के माध्यम से बी प्लस ग्रेड जारी कर दिया गया है। वर्ष 1998 में स्थापित यूपीआरटीओयू ने पहली बार नैक ग्रेडिंग की मान्यता के लिए आवेदन किया था। जिसके बाद गत वर्ष नैक की सात सदस्यीय टीम ने विश्वविद्यालय की अकादमिक गुणवत्ता के साथ-साथ प्रशासनिक व ढांचागत व्यवस्था का मूल्यांकन किया था। टीम ने विश्वविद्यालय के गंगा, यमुना एवं सरस्वती परिसर में स्थित प्रमुख कार्यालयों के साथ ही क्षेत्रीय केंद्र, वाराणसी एवं गोद लिए गांव का निरीक्षण किया था।

नैक टीम ने वर्ष 2015 से लेकर 2020 तक के अकादमिक वर्षों का एसएसआर के आधार पर मूल्यांकन किया। बाद में टीम ने अपनी रिपोर्ट तैयार की और राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद को सौंपी। लंबे इंतजार के बाद रजत जयंती वर्ष में मिली इस उपलब्धि से विश्वविद्यालय में खुशी का माहौल है। कुलपति प्रो. सीमा सिंह ने बताया कि उनके यहां आने से पूर्व ही मूल्यांकन की प्रक्रिया प्रारंभ हो गई थी। विश्वविद्यालय को यहां तक पहुंचाने में पूर्व कुलपतियों एवं समस्त स्टाफ का बहुत बड़ा योगदान है।

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