नई दिल्ली। एमबीबीएस डॉक्टरों के लिए प्रस्तावित national exit test (नेक्सट) में डॉक्टरों की पढ़ाई को परखने का तौर-तरीका बदल जाएगा। इस परीक्षा के दौरान छात्रों को सिविल सेवा परीक्षा, आईआईटी की जेईई एवं एडवांस जैसी परीक्षाओं के पैटर्न पर परखा जाएगा। उन्हें problem solving (समस्या के समाधान), analytical skills (विश्लेषणात्मक कौशल), comprehensive (बोधगम्यता) जैसे बहुविकल्पीय प्रश्नों के उत्तर देने होंगे।
मौजूदा समय में MBBS के छात्रों को अंतिम वर्ष की परीक्षा कॉलेज या संबंधित विश्वविद्यालय द्वारा निर्धारित परीक्षा के आधार पर पास करनी होती है, जिसमें मूलत वही प्रश्न पूछे जाते हैं, जो विषय उन्हें पिछले पांच-साढ़े पांच साल में पढ़ाए गए हैं। लेकिन, अगले साल से नेक्स्ट टेस्ट लागू होने के बाद MBBS अंतिम वर्ष की परीक्षा की जगह यह टेस्ट ले लेगा। जो छात्र विदेशों से पढ़ाई करके आते हैं, उन्हें भी यह पास करना होगा।
एमबीबीएस की पढ़ाई करने वालों के लिए अगले साल से नेशनल एक्जिट टेस्ट (नेक्स्ट) लागू होगा। इसमें 65 फीसदी प्रश्न problem solving यानी समस्या के समाधान और analytical skills अर्थात विश्लेषणात्मक कौशल से जुड़े होंगे।
MBBS अंतिम वर्ष की परीक्षा की जगह यह टेस्ट ले लेगा। इसी टेस्ट के आधार पर PG में Admission होगा। जो छात्र विदेशों से मेडिकल की पढ़ाई करके आते हैं, उन्हें भी यह पास करना होगा। राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग ने जो मसौदा परीक्षा का जारी किया है, उसमें नेक्स्ट के दो भाग हैं। स्टेप-1 में छात्रों को छह विषयों के छह वस्तुनिष्ठ प्रश्न पत्र ऑनलाइन देने होंगे। प्रत्येक में 50 अंक हासिल करने होंगे। छात्रों के चिकित्सकीय ज्ञान को गहराई और व्यापकता में परखने के लिए प्रश्न पत्रों को तीन भागों में बांटा गया है।


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