आखिर क्यों नहीं ??
मेरे हमकदम शिक्षक साथियों !!!
किसी भी विधिक (लीगल) मामलों के लिए सरकार अपना एक परमानेंट अधिवक्ता (वकील) हायर करती है जिसे state का standing council कहा जाता है, किसी विभागीय मुद्दे से जुड़े हर मामलों के लिए वह कोर्ट में प्रभावी पैरवी करता है (एक नियत मानदेय पर).....
तो हम शिक्षक अपनी समस्याओं के लिए अलग अलग वकीलों की फीस क्यों भरते हैं ??? हम तमाम शिक्षक संघों को वार्षिक चन्दा देते हैं और रसीद कटाते हैं तो क्यों नहीं ये शिक्षक संघ भी अपनी तरफ़ से एक standing council appointment करता ??? क्यों हमारा शिक्षक भाई अपने किसी मुद्दे के लिए वकीलों की फीस देने को बाध्य होता है ???
कई साथी तो court fees के कारण ही चुप बैठ जाते हैं, क्या आपको नहीं लगता कि किसी शिक्षक संघ से जुड़े शिक्षक सदस्य के लिए ये सुविधा संघ द्वारा उपलब्ध कराई जानी चाहिए .....
जब शासन इस रणनीति पर चल सकता है तो हम शिक्षक क्यों नहीं ??? विचार जरूर करियेगा, एक ही मुद्दे पर अलग अलग कोर्ट में अपील करने की बजाय शिक्षक संघ के अपने अधिवक्ता द्वारा पैरवी करना ज्यादा सुविधाजनक और प्रभावी होगा, भले ही शिक्षक संघ की वार्षिक चन्दा रसीद 100₹ की बजाय 500₹ की क्यों न हो....
क्या आप सहमत हैं ???


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