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छह साल से कम उम्र के बच्चों को मिले निशुल्क शिक्षा, प्राइवेट स्कूलों के हाथ में प्री प्राइमरी शिक्षा

छह साल से कम उम्र के बच्चों को निशुल्क शिक्षा देने के अनुरोध के साथ हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर हुई है। 24 फरवरी को इस मामले की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने केंद्र व राज्य सरकार से जवाब मांगते हुए मई के अंतिम सप्ताह में सुनवाई के आदेश दिए हैं।

सहज सारथी फाउंडेशन की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि केंद्र सरकार ने 6 से 14 साल के बच्चों के लिए तो निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा की व्यवस्था दी है लेकिन उससे कम उम्र के बच्चों के लिए कोई प्रावधान नहीं किया गया है जबकि नर्सरी कक्षा (प्री-प्राइमरी, एलकेजी, यूकेजी) को निशुल्क एवं अनिवार्य बनाना जरूरी है क्योंकि छह साल की उम्र तक बच्चों के 85 प्रतिशत मस्तिष्क का विकास होता है। एकीकृत बाल विकास योजना के तहत आंगनबाड़ी स्थापित किए गए हैं लेकिन उसमें तैनात कार्यकत्री की शैक्षिक योग्यता हाईस्कूल है। राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) की गाइडलाइन के अनुसार आंगनबाड़ी कार्यकत्री छह साल से कम उम्र के बच्चों को पढ़ाने के लिए अर्ह नहीं है।

प्राइवेट स्कूलों के हाथ में प्री प्राइमरी शिक्षा

वर्तमान में यह पूरी शिक्षा प्राइवेट स्कूल के हाथ में है जिसमें अत्यधिक शुल्क तो लेते ही हैं योग्य शिक्षक भी नहीं हैं। विधि आयोग ने भी छह वर्ष से कम उम्र के बच्चों को निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा प्रदान करने के लिए अपनी संस्तुति 2015 में ही की थी लेकिन आज तक उस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में तीन से छह वर्ष के बच्चों को आंगनवाड़ी, बालवाटिका, प्री-स्कूल के माध्यम से मुफ्त, सुरक्षित और गुणवत्तापूर्ण ‘प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा’ की उपलब्धता सुनिश्चित करने की बात कही गई है लेकिन जमीनी स्तर पर इसका अभाव है।

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