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11 हजार करोड़ से बदली जाएगी सरकारी स्कूलों की सूरत

सरकारी स्कूलों की सूरत बदलकर शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए सरकार 11 हजार करोड़ रुपये खर्च करेगी। हर स्कूल पर 7.8 लाख रुपये खर्च किए जाएंगे। नीति आयोग के स्कूल एजुकेशन क्वालिटी इंडेक्स (एसईक्यूआई) और परफार्मेंस ग्रेड इंडेक्स (पीजीआइ) में प्रदेश को प्रथम स्थान पर लाने के लिए सरकार इस कवायद में जुटी है।
प्रदेश में 1.41 लाख परिषदीय व माध्यमिक विद्यालय हैं। इनमें 2.37 करोड़ विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। इस वित्तीय वर्ष में सरकार प्रति विद्यार्थी 35 हजार रुपये और कुल 83 हजार करोड़ रुपये खर्च कर रही है। सरकार का जोर प्रदेश के स्कूलों में जल्द से जल्द जरूरी सुविधाओं को उपलब्ध करवाने पर है। इसके लिए प्रति विद्यालय 7.8 लाख रुपये खर्च किए जाएंगे। सरकार ने अगस्त में कायाकल्प अभियान के तहत प्रदेश के जर्जर स्कूलों की दशा सुधारने के बाद अभियान के दूसरे चरण पर काम शुरू करवा दिया है ।

प्रदेश सरकार की ओर से अबतक 1.36 लाख परिषदीय विद्यालयों का मूलभूत सुविधाओं की उपलब्धता के साथ कायाकल्प किया जा चुका है । इस अभियान के तहत 11 हजार करोड़ खर्च किए जाएंगे। वर्ष 2026 तक प्रदेश के 5760 विद्यालयों को विश्वस्तरीय अध्ययन सुविधाओं से जोड़ने की कवायद की जा रही है।

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