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स्कूलों में हर बच्चे के प्रदर्शन पर अब रहेगी सीधी निगाह

• स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता बेहतर बनाने की दिशा में शिक्षा मंत्रालय की एक और बड़ी पहल
• प्रत्येक जिले में खुलेगा विद्या समीक्षा केंद्र, बच्चों के प्रदर्शन का रीयल टाइम ब्योरा कराएगा मुहैया

स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता बेहतर बनाने की दिशा में एक और बड़ी पहल की गई है। इसमें स्कूलों के साथ उनमें पढ़ने वाले प्रत्येक बच्चे के प्रदर्शन पर भी अब सीधी नजर रखी जाएगी।

इसे लेकर देशभर के सभी जिलों में एक विद्या समीक्षा केंद्र खोला जाएगा, जो स्कूल और उनमें पढ़ने वाले एक-एक बच्चे के प्रदर्शन का रीयल टाइम ब्योरा मुहैया कराएगा। इतना ही नहीं, वह यह भी बताएगा कि किस स्कूल या किस बच्चे के प्रदर्शन में क्या कमी है। इसके आधार पर उसमें जरूरी सुधार भी किए जा सकेंगे।

नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) लागू किए जाने के बाद स्कूली शिक्षा में सुधार को लेकर उठाए गए कदमों में यह एक बड़ा कदम माना जा रहा है।

वैसे तो देश के सभी राज्यों को इसे शुरू करने के लिए कहा गया है, लेकिन गुजरात के बाद इसमें ओडिशा जैसे करीब 15 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों ने ही रुचि दिखाई है और इस दिशा में आगे बढ़कर काम शुरू किया है।
हालांकि इनमें से के रूप में शुरू किया है। इसकी उपयोगिता को देखते हुए माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में विद्या समीक्षा केंद्र सभी राज्यों के लिए एक शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक, यह पहल इसलिए भी अहम है क्योंकि अभी प्रत्येक स्कूल और उनमें पढ़ने वाले बच्चों के प्रदर्शन पर नजर रखने की कोई व्यवस्था नहीं है। ऐसे में स्कूलों और उनमें पढ़ने वाले बच्चों के प्रदर्शन से जुड़ी सही जानकारी नहीं मिल पा रही थी।

इस नई व्यवस्था के तहत जिले में कितने स्कूल हैं, प्रत्येक स्कूल में शिक्षकों और जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर की स्थिति क्या है, स्कूलों में प्रतिदिन कितने बच्चे उपस्थित रहे हैं, कितने बच्चों ने मिड-डे मील लिया, बच्चों का रिपोर्ट कार्ड क्या है, किस विषय में बच्चे ने बेहतर प्रदर्शन किया और किस विषय में कमजोर है, खेल- कूद और दूसरी गतिविधियों में उसकी सक्रियता क्या है आदि का पूरा ब्योरा जिला स्तर पर तैयार होने वाले विद्या समीक्षा केंद्रों पर रहेगा। इन्हें राज्य और केंद्र स्तर तक जोड़ा जाएगा, ताकि स्कूलों के प्रदर्शन से जुड़ी जानकारी को भी जांचा जा सके.

खराब प्रदर्शन पर शिक्षकों की भी लगेगी क्लास

विद्या समीक्षा केंद्र सिर्फ स्कूलों से जुड़ा सिर्फ रीयल टाइम डाटा ही मुहैया नहीं कराएगा, बल्कि यह भी बताएगा कि किस स्कूल में, किस कक्षा में, किस विषय में बच्चों का प्रदर्शन तय मानकों के अनुरूप नहीं है। अभी जो योजना बनाई गई है, उसके तहत यदि किसी कक्षा में 50 प्रतिशत से ज्यादा बच्चों का प्रदर्शन खराब पाया जाता है, तो उस विषय को पढ़ाने वाले शिक्षक की क्लास लगेगी। केंद्र ऐसे शिक्षकों को न सिर्फ नए सिरे से प्रशिक्षण देने की सिफारिश करेगा, बल्कि प्रदर्शन खराब मिलने पर कार्रवाई की भी अनुशंसा कर सकेगा। किसी विषय में बच्चे का प्रदर्शन लगातार आउटस्टैडिंग रहता है तो उसे आगे बढ़ाने के लिए या फिर कलस्टर सेंटर में उसे विशेष कक्षाओं के लिए भी प्रेरित किया जाएगा।

इन राज्यों में शुरू हुई पहल

विद्या समीक्षा केंद्र मूलत: गुजरात का माडल है। एनईपी के अमल के दौरान इसे सभी राज्यों के सामने गुजरात ने प्रमुखता से रखा था। जिसे सर्वसम्मति से अपनाने का फैसला लिया था। बाद में शिक्षा मंत्रालय ने इसे लेकर सभी राज्यों को स्कूलों की संख्या के हिसाब से वित्तीय मदद मुहैया कराई। फिलहाल गुजरात के बाद इसे उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, ओडिशा, असम, बिहार, झारखंड, महाराष्ट्र, कर्नाटक, छत्तीसगढ़, पंजाब, मिजोरम, मेघालय, दिल्ली, अरुणाचल प्रदेश, चंडीगढ़ आदि राज्य व केंद्र शासित प्रदेश लागू करने की दिशा में आगे बढ़े हैं।

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