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मंत्री बोले, शिक्षा के जरिए मजूर के बेटे को हुजूर बनाने का किया जा रहा प्रयास

पशुधन एवं दुग्ध विकास अल्पसंख्यक कल्याण मुस्लिम वक्त विभाग मंत्री धर्मपाल सिंह ने कहा कि पहले हुजूर के बेटे ही हुजूर बनते थे, लेकिन अब मजूर के बेटे को भी हुजूर बनाने की दिशा में कार्य हो रहा है। मदरसा शिक्षा का लगातार विस्तार करने के पीछे भी यही रणनीति है। वह राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद की ओर से इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजित अभिमुखीकरण कार्यशाला को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि मनुष्य में पशुता और पशुओं में क्रूरता को शिक्षा से ही दूर किया जा सकता है। मनुष्य का विकास शिक्षा से होता है। जीवन पूरा शिक्षा है। अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के बारे में चर्चा हो रही है। शिक्षा प्राप्त करना हर व्यक्ति का अधिकार है। जो शिक्षित होते हैं वही आगे बढ़ते हैं। गरीबी को दूर करने का साधन भी शिक्षा है। बेसिक शिक्षा के साथ मदरसा शिक्षा को जोड़ा गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि गरीब छात्रों के एक हाथ में कुरान और दूसरे हाथ में लैपटॉप होना चाहिए। इसके लिए प्रयास जारी हैं। मदरसा में अब उर्दू ,अरबी, फारसी के साथ एनसीआरटी लागू कर अंग्रेजी शिक्षा भी सिखाई जा रही है।

उन्होंने कहा कि हमें दीनी तालीम में आपत्ति नहीं है, लेकिन हम चाहते हैं कि मदरसे के बच्चे भी आईएएस अफसर बनें वे मुख्य धारा में आएं। उन्होंने कहा कि मदरसा शिक्षा में दीन प्रार्थना के साथ राष्ट्रगान लागू किया है ताकि बच्चे मुख्य धारा में आ सके। इस दौरान एआई आधारित माड्यूल का शुभारंभ भी किया गया। इसके जरिए अध्यापकों को औद्योगिक विकास के प्रति पारंगत किया जा सकेगा। उन्हें कम्प्यूटर साइंस के बारे में विस्तार से जानकारी दी जाएगी। रोबोटिक और अन्य तकनीकी प्रणाली को विकसित करने के बारे में जान सकेंगे। कार्यक्रम के दौरान शिक्षक सहायक चैट बैक्स भी लांच किया गया। कई पुस्तकों एवं शब्दकोष का विमोचन भी हुआ।

हर जिले में बनेगा विश्वस्तरीय सुविधा वाला विद्यालय- संदीप

कार्यक्रम के दौरान बेसिक शिक्षा (राज्यमंत्री) संदीप सिंह ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति ने पठन -पाठन के तरीके को बदल दिया है। यह समावेशी शिक्षा को बढ़ा रहा है। अब टेक्नोलॉजी लगातार बदल रही है। अब डिजिटल लिट्रेसी का दौर है। हमें भी इसके साथ खड़ा होना होगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश के हर जिले में एक ऐसा विद्यालय बनाना होगा, जिसमें सभी तरह की सुविधाएं हो। यह विद्यालय विश्व स्तरीय विद्यालयों से तुलना कर सके। उन्होंने कहा कि आंगनबाड़ी केंद्रों को प्री विद्यालय के रूप में तैयार किया जा रहा है। यहां नियुक्ति होने वाले आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को भी शिक्षा के नए तौर तरीकों की जानकारी दी जाएगी।

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