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ठंड से ठिठुर रहे बच्चे, तीस हजार को स्वेटर भी नहीं मिले

शाहजहांपुर। जिले में संचालित हो रहे कई परिषदीय स्कूलाें में संसाधनों का अभाव है। कई स्कूल जर्जर हो चुके हैं तो फर्नीचर भी नहीं है। ऐसे में ठंड के बावजूद स्कूलों में बच्चे टाट-पट्टी पर बैठकर शिक्षा ग्रहण करने के लिए मजबूर हैं तो अब तक करीब दस प्रतिशत यानी करीब 30 हजार बच्चों को स्वेटर भी नहीं मिल सके हैं।

बेसिक शिक्षा विभाग के जिले में 2720 विद्यालय संचालित हैं। इनमें कुल 3.61 लाख छात्र-छात्राएं पंजीकृत हैं। इनमें से 10 प्रतिशत यानी 30 हजार से अधिक छात्र-छात्राओं के अभिभावकों के खातों में आधार लिंक न होने के कारण डीबीटी के माध्यम से यूनिफार्म, स्वेटर, जूते-मोजों की धनराशि नहीं पहुंची है। वहीं जिन अभिभावकों के खातों में धनराशि पहुंच गई हैं। इनमें से भी तमाम ने अपने बच्चों के लिए यूनिफार्म, स्वेटर और जूते-मोजे खरीदकर नहीं दिए हैं।

इस वजह से बच्चे कड़कड़ाती ठंड में ठिठुरते हुए स्कूल पहुंच रहे है। इतना ही नहीं नगर व ग्रामीण क्षेत्र के करीब 30 विद्यालय ऐसे हैं जोकि जर्जर हो चुके हैं। इनमें अधिकांश विद्यालय किराये के भवनों में चलने वाले हैं। इनके कमरों में लगे खिड़की-दरवाजे तक जर्जर हो चुके हैं, जिनके ठंडी हवा सनसनाती हुई अंदर आती है।

विद्यालयों का हाल

नगर क्षेत्र में महमंद जलालनगर विद्यालय जर्जर स्थिति में है। महमंद जलालनगर स्थित विद्यालय में एक कमरा और बरामदा है। जर्जर होने के कारण इसको तारीन टिकली द्वितीय में शिफ्ट किया गया था, लेकिन वहां भी बच्चों व शिक्षकों के बैठने और मिड-डे-मील के लिए कोई व्यवस्था नहीं होने के कारण फिर से जर्जर भवन में ही संचालित हो रहा है। यहां पर 45 बच्चे पंजीकृत हैं, इनमें से 37 के अभिभावकों के खातों में धनराशि पहुंची है। मोहल्ला भारद्वाजी द्वितीय का विद्यालय भी एक ही कमरे में संचालित है, जोकि पूरी तरह से जर्जर हो चुका है। बरामदे का लिंटर ही गायब है। ऐसे में बच्चों और शिक्षकों के बैठने तथा मिड-डे-मील के लिए एक ही कमरा है। विद्यालय में कुल 13 बच्चे पंजीकृत हैं। जैतीपुर स्थित कंपोजिट विद्यालय में कुल 357 विद्यार्थी पंजीकृत हैं। प्रधानाध्यापक अजीत कुमार ने बताया कि विद्यालय के छात्र-छात्राओं के खातों में तीन बार में धनराशि भेजी जा चुकी है। इसके बावजूद मात्र 35 छात्र-छात्राओं के अभिभावकों ने अपने बच्चों के लिए यूनिफार्म खरीदी है। मिर्जापुर के प्राथमिक स्कूल द्वितीय की इंचार्ज प्रधानाध्यापक कोमल सिंह ने बताया कि स्कूल में कुल 119 छात्र पंजीकृत हैं जिनमें 90 छात्रों के अभिभावकों के खाते में यूनिफॉर्म, जूता, मोजा आदि के लिए 1200 रुपये की धनराशि सीधे खाते में पहुंच चुकी है। अभिभावकों ने धनराशि बैंक से निकाल कर खर्च कर ली है, बच्चों की यूनिफॉर्म नहीं बनवाई है।

आधार सीडिंग न हो पाने के कारण आ रही दिक्कत

जिन बच्चों के अभिभावकों के खाते में धनराशि नहीं पहुंची, उनकी आधार सीडिंग नहीं हो सकी है। इसमें बच्चे के हाथों की रेखाएं न आने जैसी तकनीकी समस्या सामने आ रही है। इसके साथ ही तमाम अभिभावक अपने बच्चों का आधार बनवाने नहीं जाते। ऑनलाइन व्यवस्था में आधार सीडिंग होना जरूरी है। इसके अलावा तमाम ऐसे बच्चे भी हैं, जिनका प्रवेश वर्ष के अंतिम माह में भी लिया जाता है। उनके लिए प्रक्रिया पूरी कराने में समय लगता है। उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के जिला मीडिया प्रभारी व ब्लॉक भावलखेड़ा अध्यक्ष राजकुमार तिवारी का कहना है कि ऑनलाइन माध्यम से अभिभावकों के खातों में धनराशि भेजे जाने के बाद बच्चों को स्कूल यूनिफॉर्म, जूते-मोजे, स्वेटर आदि उपलब्ध होने में समस्या अधिक आ रही है। पहले मैन्युअल तरीके से शिक्षकों को धनराशि प्राप्त होती थी, तो किसी फर्म को ठेका देकर सभी बच्चों को लाभ दिला दिया जाता था।

जिले में 2720 परिषदीय विद्यालयों में पंजीकृत 3.61 लाख छात्र-छात्राओं में 3.33 लाख से अधिक के खातों में डीबीटी के माध्यम से धनराशि भेजी जा चुकी है। इसके बावजूद तमाम अभिभावकों ने अपने बच्चों को स्कूल यूनिफार्म, स्वेटर, जूते-मोजे नहीं दिलाए हैं। जिनके खाते में धनराशि नहीं पहुंची, उनकी आधार सीडिंग नहीं हो सकी है। इसके लिए शिक्षकों को निर्देशित किया गया है। जर्जर विद्यालयों की मरम्मत के लिए धनराशि सरकार से मांगी गई है।- रणवीर सिंह, बीएसए

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