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शिक्षक भर्ती करने के बाद भी पद खाली, आरटीआई से खुलासा, तत्काल नई शिक्षक भर्ती की मां

वर्तमान में उत्तर प्रदेश सरकर ने वर्ष 2018 में 68500 और 2019 में 69000 पदों पर भर्ती की हैं। परंतु अब भी शिक्षकों के काफी पद प्रदेश में रिक्त हैं। इसका खुलासा शिक्षक भर्ती के पक्षकार मेरठ के हिमांशु राणा ने आरटीआई से किया। उन्होंने कहा कि बच्चों के मौलिक अधिकारों को ध्यान में रखते हुए तत्काल रूप से शिक्षकों के लिए नई भर्ती निकालनी चाहिए।

ज्ञात हो कि सपा सरकार के समय में शिक्षामित्रों के समायोजन के पश्चात कयास लगाए जा रहे थे कि अब बेसिक शिक्षा विभाग में भर्ती नहीं होगी परंतु हिमांशु राणा ने वर्ष 2017 में सर्वोच्च न्यायालय से शिक्षा मित्रों का समायोजन रद कराकर शिक्षा मित्रों को उनके पदों पर वापस कर दिया था, लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा था कि उत्तर प्रदेश सरकर चाहे तो इन्हें शिक्षा मित्रों के पद पर रखते हुए दो भर्ती में मौका दे सकती है। जिसकी मियाद वर्तमान में चल रही 69000 पदों पर भर्ती पूर्ण होते ही खत्म हो गई है। हिमांशु राणा ने वर्ष मई 2017 में केंद्र सरकार से आरटीआई में जवाब मांगा था कि उत्तर प्रदेश राज्य के शिक्षकों का ब्यौरा मांगा था जिसमें केंद्र सरकर ने खुलासा किया था स्वीकृत पद- 598499, कार्यरत शिक्षक-444176 और खाली पद 154323 इतने हैं और शिक्षा मित्रों का समायोजन रद्द होने के बाद लगभग 137500 पद और रिक्त हुए हैं। वर्तमान सरकार केवल शिक्षा मित्रों से रिक्त हुए पदों पर भर्ती करना चाहती है जबकि अनुच्छेद 21अ के तहत संसद से पारित हुए शिक्षा के अधिकार अधिनियम, 2009 के रूल 17 के अनुसार शिक्षक अनुपात को बनाए रखने के लिए शिक्षकों की उपलब्धता अनिवार्य है और इस पर भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने वर्ष 2012 में निर्णय भी दिया

था जिसमें उन्होंने कहा था कि देश में हर बच्चे को शिक्षा मिलने के लिए सरकारों को कदम उठने चाहिए और इसके लिए आधारिक संरचना समूचे देश की राज्यों सरकारों को उठानी चाहिए। इसके अलावा आरटीआई में खुलासा हुआ है कि शिक्षकों के वेतन का 60 फीसदी केंद्र सरकार के हिस्से आता है और 40 फीसदी राज्यों को देना होता है। हिमांशु ने कहा कि राज्य सरकर को विद्यालयों में पढ़ रहे बच्चों के मौलिक अधिकारों को ध्यान में रखते हुए तत्काल रूप से शिक्षकों के लिए नई भर्ती निकालनी चाहिए और नियुक्तियों में समान अवसर देते हुए रोजगार एवं प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ रहे बच्चों के लिए मार्ग प्रशस्त करना चाहिए




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