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टेढ़ी सोच वालों को सेना में नहीं मिलेगी भर्ती

सेना में भर्ती होने वाले उम्मीदवारों को इस वर्ष से अनिवार्य मानसिक जांच परीक्षा से गुजरना होगा। इनमें तीन पैरामीटरों पर जांच होगी। पहली जांच में देखा जाएगा कि उसमें खुद को नुकसान पहुंचाने की प्रवृत्ति तो नहीं है। दूसरे, वह दूसरों को तो नुकसान नहीं पहुंचाएगा और तीसरे सामाजिक रूप से उसकी प्रवृत्ति नकारात्मक तो नहीं है।

इन तीन पैरामीटर पर खरा उतरने के बाद ही उसे सैनिक बनने का मौका मिलेगा। सेना के सूत्रों ने बताया कि यह प्रावधान अग्निवीरों से शुरू होगा और सभी भर्तियों पर लागू होगा। जहां सीधे भर्ती है, वहां भी उम्मीदवारों को यह परीक्षा देनी होगी। माना जा रहा है कि यह कदम सेना में आत्महत्या या सहयोगियों पर बढ़ते हमलों और कई जवानों के समाज विरोधी कार्य में लिप्त होने के मद्देनजर लिया गया है। सूत्रों के अनुसार रोहतक में अग्निवीरों की भर्ती में इसकी शुरूआत की गई थी। अब सभी केंद्रों पर अग्निवीरों की भर्ती में इसे लागू करने की तैयारी है।


मेडिकल के दौरान परीक्षा होगी

मेडिकल जांच के दौरान तीन पैरामीटर पर मानसिक स्वास्थ्य परखा जाएगा। सूत्रों के अनुसार, प्रतिवर्ष 100-140 जवान खुदकुशी करते हैं। तीनों सेनाओं को मिलाकर संख्या और ज्यादा है। संसद में दी गई जानकारी के अनुसार 2017-22 के बीच तीनों सेनाओं के आठ सौ जवानों ने आत्महत्या की है। हालांकि जवान ने छुट्टी न मिलने समेत अन्य कारणों से भी साथियों या अफसर पर हमले किए।

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