प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विश्वविद्यालयों और उससे संबद्ध कॉलेजों में संविदा और अतिथि के तौर पर पढ़ा रहे शिक्षकों को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने कहा है कि शिक्षकों के चयन में उनके अनुभवों पर अंक दिए जाएंगे। यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र तथा आशुत्तो ष श्रीवास्तव की खंडपीठ ने गीतांजलि तिवारी व कई अन्य को अपीलों व पुनर्विचार अर्जी को तय करते हुए दिया है।
– या य मूर्ति फैसला 1
कोर्ट ने रेग्यूलेशन 10 (एफ) (111) की वैधता को चुनौती बाचिका को निस्तारित करते हुए साफ कहा कि यह रेग्यूलेशन सहायक प्रोफेसर सीधी भर्ती में लागू ही नहीं होगा। इसलिए अभ्यर्थियों की क्लान 7 टेबल 3ए के अनुसार शार्टलिस्टिंग किया जाए
में इलाहाबाद विश्वविद्यालय ने सहायक प्रोफेसर नियुक्ति का 28 नवंबर 22 को विज्ञापन दिया। याची ने संस्कृत विषय में आवेदन दिया। शैक्षिक अनुभव के उसे 10 अंक मिलने चाहिए। किंतु विश्वविद्यालय ने शैक्षिक अनुभव का अंक न जोड़ते हुए उसे साक्षात्कार के लिए निधारित की और शार्टलिस्ट कर साक्षात्कार लिया। जिसके अनुसार नियमित सहायक प्रोफेसर के वेतन के बराबर वेतन पाने वाले टीचिंग अनुभव वालों को ही शालिस्ट किया गया। कोर्ट ने इसे सही नहीं माना। कोर्ट ने कहा यह मापदंड इस भर्ती में लागू नहीं होगा।
याचिका पर अधिवक्ता आलोक कुमार यादव ने बहस किया। मामले नहीं बुलाया। गठित चयन समिति ने रेग्यूलेशन 10 के तहत नियुक्ति मापदंड कोर्ट ने विश्वविद्यालय को याचियों की शार्टलिस्टिंग कर साक्षात्कार लेने का निर्देश दिया है।
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