बरेली : लालच की हद पार कर अपने दिवंगत साथियों के परिवारों से आर्थिक सहायता के बदले वसूली करने वाले टीचर्स सेल्फ केयर टीम (टीएससीटी) के पदाधिकारियों को अब मुंह छिपाते नहीं बन रहा है। कहने को वसूल किया गया पैसा वापस कर कुछ परिवारों से लिखवा लिया गया है कि उन्होंने खुद अपनी मर्जी से पैसा दिया था लेकिन शिक्षकों की ओर से उनके बहिष्कार की मांग शुरू कर दी गई है। उन पर सार्वजनिक तौर पर पैसा वापस करने का भी दबाव बनाया जा रहा है ताकि उनके चेहरे सारे शिक्षकों के सामने बेनकाब हों।
टीएससीटी नाम का संगठन बेसिक शिक्षा परिषद के उन शिक्षकों के परिवारों की आर्थिक मदद के लिए बनाया गया था जो असमय ही दिवंगत हो गए हैं। पूरे प्रदेश में शिक्षक इस संगठन को नियमित रूप से बतौर सहयोग राशि एक निश्चित रकम देते हैं। बरेली में इस संगठन की 20 सदस्यीय कार्यकारिणी बनी हुई है। हाल ही में 28 जनवरी को जीआईसी के ऑडिटोरियम में आयोजित श्रद्धांजलि सभा में जिले में दिवंगत हुए छह शिक्षकों के परिवारों को संगठन की ओर से 50-50 लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी गई थी।
कार्यक्रम के फौरन बाद शिक्षक परिवारों ने आरोप लगाया कि टीएससीटी पदाधिकारियों ने आर्थिक सहायता देने के बदले उनसे 50-50 हजार रुपये की वसूली की है। ये आरोप सार्वजनिक हुए जिले भर के शिक्षकों में भारी गुस्सा फैल गया। चूंकि पदाधिकारियों ने कुछ परिवारों से ऑनलाइन रकम अपने खाते में ट्रांसफर कराई थी, इसलिए वे इन आरोपों का खंडन भी नहीं कर सके। इसी कारण शिक्षक समुदाय में इस कृत्य को शर्मनाक बताते हुए वसूली करने वाले उनके बहिष्कार की मांग शुरू हुई तो उन्होंने कुछ परिवारों को आननफानन पैसे वापस कर उन्हें यह लिखकर देने को भी मना लिया कि उन्होंने अपनी इच्छा से यह धनराशि दी थी।
इसके बावजूद शिक्षकों की ओर से लगातार सवाल उठ रहे हैं कि अगर किसी परिवार ने अपनी इच्छा से भी धनराशि दी थी तो उसका सार्वजनिक एलान क्यों नहीं किया गया। साथ ही यह स्पष्ट क्यों नहीं किया गया कि यह पैसा किसलिए लिया गया है।
सभी पीड़ित परिवारों के पैसे लौटा दिए है। उनकी सहमति पर बतौर सहयोग यह धनराशि ली गई थी। शिक्षक परिवारों की अधिक से अधिक मदद की जाएगी, इसी उद्देश्य से संगठन का निर्माण किया गया है। - अनुजवीर गंगवार, जिला संयोजक टीएससीटी
सार्वजनिक कार्यक्रम में लौटाएं पीड़ित परिवारों के पैसे
यूपी जूनियर हाई स्कूल शिक्षक संघ के मंडल अध्यक्ष डॉ. विनोद कुमार शर्मा ने कहा कि टीएससीटी के इस कृत्य से शिक्षकों की भावनाएं आहत हुई हैं। अगर पीड़ित शिक्षक परिवारों को पैसे लौटा भी दिए गए है तो उनसे रातोरात आरोपों का खंडन क्यों लिखवाया गया। जो पैसे लिए गए थे, वह सार्वजनिक रूप से लौटाए जाने चाहिए ताकि असलियत सभी शिक्षकों के सामने आए। जिन पदाधिकारियों ने पीड़ित परिवारों से पैसा लिया है, उन्हें खुद ही पदमुक्त हो जाना चाहिए। वह महानिदेशक से भी शिकायत करेंगे।
अब भी अडिग, पदाधिकारियों ने ही मांगे थे पैसे
पीड़ित परिवारों से संगठन के पदाधिकारियों ने यह तो लिखवा लिया है कि उन्होंने खुद अपनी इच्छा से 50-50 रुपये दिए थे लेकिन ये परिवार मीडिया के सामने अब भी खुलकर कह रहे है कि उनसे पदाधिकारियों ने ही पैसे मांगे थे। यह भी कहा जा रहा है कि जिन परिवारों ने ऑनलाइन ट्रांसफर किया था, उनका पैसा तो लौटा दिया गया लेकिन नकद देने वालों को पैसे वापस नहीं मिले हैं।
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