लखनऊ: परिषदीय स्कूलों में शिक्षकों के निलंबन व बहाली के खेल पर अब नकेल कसी जाएगी। शिक्षा विभाग के अधिकारी बड़ी संख्या में शिक्षकों को निलंबित करते हैं और फिर बिना कोई दंड दिए ही उन्हें बहाल कर दिया जाता है। विगत दिनों प्रदेश के सभी जिलों में कुल 674 शिक्षकों को निलंबित किया गया और उनमें से 278 शिक्षक बिना लघु या दीर्घ दंड के बहाल कर दिए गए यानी कुल शिक्षकों में से 41 प्रतिशत शिक्षक बिना कोई दंड पाए बहाल हो गए।
महानिदेशक, स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा की ओर से सभी जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों को पत्र लिखकर बिना लघु या दीर्घ दंड दिए ही शिक्षकों को बहाल किए जाने पर सवाल उठाए गए हैं। उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकारी सेवक (अनुशासन एवं अपील) नियमावली वर्ष 1999 के नियम संख्या चार (एक) में स्पष्ट लिखा गया है कि सरकारी सेवकों को गंभीर शिकायत और ठोस सुबूत होने पर उन्हें निलंबित किए जाने का प्रविधान है, मगर यहां ऐसा नहीं हो रहा। परिषदीय स्कूलों के शिक्षकों के निलंबन के बाद उन्हें न तो दीर्घ दंड दिया जा रहा है या नहीं लघु दंड दिया जा रहा है। उन्हें बिना कोई दंड दिए ही बहाल किया
• 674 शिक्षक निलंवित हुए और विना दंड के 278 हुए वहाल • महानिदेशक ने विना दंड दिए ही वहाल होने पर जताई हैरानी
उदाहरण के तौर पर महाराजगंज जिले में 31 शिक्षक निलंबित किए गए और उसके बाद 28 शिक्षक बिना कोई दंड दिए बहाल कर दिए गए। ऐसे ही कासगंज में 19 निलंबित शिक्षकों में से 14 को बिना कोई दंड दिए बहाल कर दिया गया। ऐसे में यह प्रतीत हो रहा है कि शिक्षकों को पर्याप्त आधार के बिना ही निलंबित किया जा रहा है। दरअसल, शिक्षाधिकारी छोटे-छोटे मामले में शिक्षकों को निलंबित कर देते हैं। फिर उनसे धन वसूलकर बिना कोई दंड दिए ही बहाल कर देते हैं। फिलहाल अब आगे महानिदेशालय स्तर से इसकी मानीटरिंग होगी। बीएसए पर्याप्त आधार के बिना किसी शिक्षक को निलंबित नहीं
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