आप लोग प्राइवेट स्कूलों से कुछ क्यों नहीं सीखते। आप भी अपने स्कूलों को ऐसा रूप दीजिए जिससे लोग प्राइवेट के स्थान पर इन स्कूलों में अपने बच्चों को भेजना पसंद करें। इन स्कूलों के शिक्षकों की तरह आप भी बनिए। जिलाधिकारी राकेश कुमार सिंह ने डिजिटल हाजिरी के विरोध में एकजुट हुए शिक्षक व कर्मचारी संगठनों के प्रतिनिधियों से मंगलवार को संवाद किया। शिक्षकों ने कहा, साहब..जो काम हम करते हैं वह प्राइवेट के शिक्षक नहीं कर सकते।
सरसैया घाट स्थित नवीन सभागार में हुए इस संवाद में जिलाधिकारी की हिदायतों के बीच परिषदीय शिक्षकों ने कई बार ऐसे जवाब दे दिए कि हॉल में खामोशी छा गई। परिषदीय शिक्षकों ने बताया कि उन्हें स्कूल में सुबह शौचालय की सफाई से लेकर सारे लिपिकीय कार्य भी करने पड़ते हैं। बैठकें, प्रशिक्षण, रैली, सरकारी कामों में ड्यूटी आदि न जाने क्या-क्या करना पड़ता है। प्राइवेट शिक्षक इससे मुक्त रहते हैं।
डिजिटल हाजिरी का विरोध कर रहे शिक्षकों को फिलहाल फैसला स्थगित होने की जानकारी तो मिल गई लेकिन वे इस फैसले से खुश नहीं दिखे। उनका कहना था कि आदेश अव्यवहारिक है और इसे वापस होना चाहिए। इस पर जिलाधिकारी ने सभी से समस्याएं और सलाह मांगीं। शिक्षकों का कहना था कि नेटवर्क सबसे बड़ा संकट है। टैब में सही लोकेशन नहीं मिलती। थोड़ी सी देर होने पर वेतन कट सकता है। मात्र वर्ष में 14 अवकाश हैं जिससे काम नहीं चल सकता। टैब चोरी का खतरा बना रहेगा। बच्चों की संख्या दिन भर कम ज्यादा होती रहती है।
जिलाधिकारी से शिक्षकों ने कर्मचारियों की भांति प्रतिवर्ष 30 अर्जित अवकाश, 15 हाफ-डे, 14 सीएल अवकाश, प्रतिकर अवकाश, गैर शैक्षणिक कार्यों से मुक्ति, बीएलओ अभियान, एमडीएम पंजिका डिजिटाइजेशन आदि से मुक्त रखने की मांग रखी। जिलाधिकारी ने कहा कि शिक्षकों को आगे बढ़कर स्वप्रेरणा से शिक्षा दान करनी चाहिए। शिक्षकों को भी अपने कर्तव्य का बोध होना चाहिए। शिक्षकों को ऐसे कार्य करने चाहिए जोकि समाज के लिए प्रेरणास्पद बन सके।
बैठक में शिक्षक शिक्षामित्र अनुदेशक कर्मचारी संयुक्त मोर्चा में शिक्षक संगठनों की ओर से अखिलेश कुमार यादव, अनुग्रह त्रिपाठी, विकास तिवारी, अभय मिश्र, सरिता कटियार, सुनील वर्मा, रुचि त्रिवेदी, राधेश्याम, जितेंद्र यादव, चंद्रदीप यादव, सुयश शुक्ला, नीरज तिवारी, सुनील वर्मा, जीतेंद्र सविता कटियार, अभय मिश्र, शरद तिवारी, परवेज आलम आदि उपस्थिति रहे l
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