बेसिक शिक्षा विभाग में कदम-कदम पर भ्रष्टाचार के जाल बिछे हैं। जनपद के हर ब्लॉक से लेकर बीएसए दफ्तर के तक घूसखोरों के तार जुड़े हुए हैं। विभाग में बिना रिश्वत के कोई भी काम नहीं होता। शिक्षक-शिक्षिकाओं को तैनाती से लेकर रिटायरमेंट तक हर काम के लिए घूस देनी पड़ती है। यानी तैनाती के दौरान पहला वेतन मिलना हो या रिटायरमेंट के बाद पेंशन। कुछ भी रिश्वत दिए बिना नहीं मिलता। हर काम के रेट फिक्स हैं। घूस के इस खेल में विभाग के आला अधिकारियों से लेकर बिल बाबू तक शामिल हैं।
बेसिक शिक्षा विभाग में हाल ही में निलंबित हुए बेसिक शिक्षा अधिकारी और पूर्व बेसिक शिक्षा अधिकारी का मामला कोई नया नहीं है। इस विभाग में ऐसे कई खुलासे हुए हैं, जिनमें शिकायतकर्ताओं की जांच पर गौर किया जाए तो तैनाती से लेकर रिटायरमेंट तक एक शिक्षक को हर काम के लिए रिश्वत देनी पड़ती है, इसकी पूरी हकीकत सामने आ जाएगी। नाम न छापने की शर्त पर विभाग के ही कुछ लोगों ने बताया कि यह कोई नया काम नहीं है।
छह विकासखंडों के घोटालों का होगा खुलासा
जगनेर, जैतपुर, बाह, फतेहाबाद, पिनाहट, शमसाबाद, खेरागढ़ इन विकासखंडों में भी सैकड़ों की संख्या में एमएसटी की शिकायतें शासन स्तर पर पहुंच चुकी है। इन विकासखंडों में घोटालों का बहुत जल्द ही खुलासा होने वाला है। इन विकासखंडों के शिक्षकों, खंडशिक्षाअधिकारियों के हलक सूखे हुए है। छुट्टियां होने पर भी एक-दूसरे से संपर्क कर घोटालों को छिपाने के प्रयास में लगे हुए हैं।
नौ लोगों के खिलाफ हो सकती है एसआईटी जांच
बेसिक शिक्षा अधिकारी निलंबन में नौ लोगों के खिलाफ एसआईटी जांच के आदेश हो सकते हैं। जानकारी के अनुसार इसमें दो खंड शिक्षा अधिकारी, एबीआरसी और दो शिक्षक भी शामिल हैं। जिन पर गाज गिरना तय है।
छह विकासखंडों के घोटालों का होगा खुलासा
जगनेर, जैतपुर, बाह, फतेहाबाद, पिनाहट, शमसाबाद, खेरागढ़ इन विकासखंडों में भी सैकड़ों की संख्या में एमएसटी की शिकायतें शासन स्तर पर पहुंच चुकी है। इन विकासखंडों में घोटालों का बहुत जल्द ही खुलासा होने वाला है। इन विकासखंडों के शिक्षकों, खंडशिक्षाअधिकारियों के हलक सूखे हुए है। छुट्टियां होने पर भी एक-दूसरे से संपर्क कर घोटालों को छिपाने के प्रयास में लगे हुए हैं।
अंदर की बात
•शिक्षकों को पहले वेतन
और पेंशन के लिए देनी पड़ती है घूस
• घूस के खेल में आला अधिकारियों से लेकर बिल बाबू तक शामिल
बेसिक शिक्षा विभाग में ये रेट हैं फिक्स
•मनचाहा स्कूल- 50,000 से लेकर एक लाख तक होता है।
•वेरीफिकेशन 5,000 वेतन लगाने पर- 10.000
•लेखाधिकारी कार्यालय में फाइल पास करने के लिए- 5,000 पहले वेतन का 50 प्रतिशत हिस्सा खत्म हो जाता है।
•वेतन बहाली- 20,000 मेडीकल 5,000 प्रति माह
•सीसीएल- 5,000 प्रति माह मेटरनिटी लीव 5 से 10,000
• निरीक्षण में खामियां मिलने पर 7 हजार से 10,000
• इसके बाद जांच अधिकारी को 10 से 15 हजार
• सही रिपोर्ट बनाने के 50,000
• एरियर बनाने के 5 से 10,000
• रिटायरमेंट पत्रावली बनाने के 15-20,000
• बीएसए कार्यालय में फाइल पास करने के 5 से 7 हजार
• लेखाधिकारी कार्यालय में 15000
• पेंशन लगाने के 15 से 20 हजार
हकीकत
बिना लेन-देन के नहीं होता कोई काम
बेसिक शिक्षा विभाग में बिना लेन देन के कोई काम होता ही नहीं है। हाल ही में जो प्रकरण हुआ है। उसे 'जगनेर घोटाला' कहने में कोई दो राय नहीं है। हर ब्लॉक से लेकर बेसिक शिक्षा कार्यालय तक भ्रष्टाचार और घोटालों का जाल बना हुआ है।
हश्र
इन पर गिर चुकी है जांच की गाज
• अक्टूबर 2014 में वित्त एवं लेखाधिकारी आरपी मौर्या भ्रष्टाचार के आरोप में निलंबित हुए।
• अगस्त 2015 में अपर निदेशक पेंशन आरएस प्रजापति भी भ्रष्टाचार में लिप्त पाए गये। निलंबित हुए।
• फरवरी 2016 में शमसाबाद में खंडशिक्षाधिकारी रहीं पूनम चौधरी को 50 हजार की रिश्वत लेते पकड़ा गया।
• अप्रैल 2016 में बिल बाबू उत्तम
सिंह एबीआरसी फतेहाबाद निलंबित हुए।
•नवंबर 2016 में एबीआरसी भूप सिंह मौर्या रिश्वत कांड में निलंबित हुए।
• मई 2017 खंड शिक्षाधिकारी कन्हैयालाल सारस्वत को रिश्वत कांड में निलंबित किया।
• अगस्त 2018 शोरन सिंह खंड शिक्षा अधिकारी को विजीलेंस की टीम ने रिश्वत लेते पकड़ा।
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