👇Primary Ka Master Latest Updates👇

फैसला : केंद्र के निर्देश पर सीधी भर्ती का विज्ञापन वापस

केंद्र सरकार ने मंगलवार को सीधी भर्ती मामले में कदम पीछे खींचते हुए संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) को संबंधित विज्ञापन वापस लेने का निर्देश दिया। इसकेबाद आननफानन में विज्ञापन रद्द कर दिया गया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामाजिक न्याय के सिद्धांत के लिए प्रतिबद्धता का हवाला देते हुए इस संबंध में पत्र कार्मिक मामलों के मंत्री जितेंद्र सिंह ने यूपीएससी को लिखा था। माना जा रहा है कि अब इस संबंध में आरक्षण के नियमों के तहत नई नियुक्तियां की जा सकती हैं।




यूपीएससी ने 17 अगस्त को लेटरल एंट्री के जरिए 45 संयुक्त सचिवों, निदेशकों और उप सचिवों की भर्ती के लिए अधिसूचना जारी की थी। इस निर्णय की विपक्षी दलों ने कड़ी आलोचना की। उनका दावा है कि इससे अन्य पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के आरक्षण अधिकारों का हनन हुआ है।




केंद्रीय कार्मिक राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने मंगलवार को यूपीएससी की अध्यक्ष प्रीति सूदन को पत्र लिखकर विज्ञापन रद्द करने को कहा। यूपीएससी लेटरल एंट्री के जरिए सीधे उन पदों पर नियुक्ति करता है, जिन पर भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारियों की तैनाती होती है।




इस व्यवस्था के तहत निजी क्षेत्रों के अलग-अलग पेशे के विशेषज्ञों को मंत्रालयों एवं विभागों में सीधे संयुक्त सचिव और निदेशक तथा उप सचिव के पद पर नियुक्त किया जाता है। हालांकि, जितेंद्र सिंह ने कहा कि चूंकि इन पदों को विशिष्ट मानते हुए एकल-कैडर पद के रूप में नामित किया गया है, इसलिए इन नियुक्तियों में आरक्षण का कोई प्रावधान नहीं है।





नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने के लिए लेटरल एंट्री के जरिये नियुक्ति में आरक्षण के सिद्धांत को लागू करने का फैसला किया है। - अश्विनी वैष्णव, रेल एवं सूचना एवं प्रसारण मंत्री




हम भाजपा की लेटरल एंट्री जैसी साजिशों को नाकाम करके दिखाएंगे। 50 फीसदी आरक्षण सीमा को तोड़कर हम जातिगत गिनती के आधार पर सामाजिक न्याय सुनिश्चित करेंगे।




राहुल गांधी, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

Politics news of India | Current politics news | Politics news from India | Trending politics news,