लखनऊ। प्रदेश के 517 जनजाति बाहुल्य गांवों के विकास के लिए अलग से कार्ययोजना तैयार की जा रही है। इस गांवों को लगभग उसी तरह संतृप्त किया जाएगा, जिस तरह मायावती के शासनकाल में अंबेडकर गांवों को किया जाता था। शासन ने 17 विभाग मिलकर इन गांवों में काम करेंगे।
केंद्र सरकार के सहयोग से संचालित होने वाली इस योजना के तहत चयनित किए गए सभी 517 गांव 26 जिलों के 47 ब्लॉकों में हैं। इसमें उन्हीं गांवों को चयनित किया गया है, जहां 50 प्रतिशत से अधिक जनजातीय आबादी है। शासन के 17 विभागों ग्राम्य विकास, जल जीवन मिशन-नमामि गंगे एवं ग्रामीण जलापूर्ति, विद्युत, वैकल्पिक ऊर्जा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, महिला कल्याण, बाल विकास एवं पुष्टाहार, बेसिक शिक्षा, माध्यमिक शिक्षा, आयुष, व्यवसायिक शिक्षा एवं कौशल विकास, इलेक्ट्रानिक्स सूचना एवं प्रौद्योगिकी, कृषि की ज़िम्मेदारी सौंपी गई है।
मुख्य सचिव द्वारा सभी संबंधित विभागों को कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं। इन गांवों में आवास, सड़क, पेयजल, बिजली, आगंनबाड़ी केंद्र, मोबाइल मेडिकल यूनिट, कौशल विकास केंद्र, बहुउददे्शीय मार्केटिंग सेंटर एवं विद्यालयों की व्यवस्था कर अनुसूचित जनजातियों को सशक्त किया जाएगा।
प्रधानमंत्री जनजातीय उन्नत ग्राम अभियान योजना के नाम से संचालित की जाने वाली यह योजना अंबेडकरनगर, बहराइच, बलिया, बलरामपुर, बाराबंकी, बस्ती, भदोही, बिजनौर, चंदौली, देवरिया, गाज़ीपुर, गोरखपुर, जौनपुर, लखीमपुर खीरी, कुशीनगर, ललितपुर, महराजगंज, महोबा, मिर्जापुर, पीलीभीत, प्रयागराज, संतकबीरनगर, श्रावस्ती, सिद्धार्थनगर, सीतापुर एवं सोनभद्र जिले के चयनित गांवों में संचालित की जाएगी। योजना से प्रदेश के 51 हजार से अधिक जनजातीय परिवार और तीन लाख से अधिक जनजातीय समुदाय के लोग लाभान्वित होंगे।
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