लखनऊ। प्रदेश सरकार राजधानी के 55 राजकीय माध्यमिक स्कूलों के शिक्षकों और कर्मचारियों की सैलरी पर सालाना औसतन 87 करोड़ रुपये खर्च करती है। माध्यमिक शिक्षा निदेशक की ओर से कराई गई इन स्कूलों की तिमाही ऑनलाइन ग्रेडिंग रिपोर्ट में इनमें से किसी स्कूल ने ग्रेड-ए हासिल नहीं किया है। ग्रेडिंग रिपोर्ट में 41 राजकीय स्कूलों को ग्रेड-बी, 12 को सी और दो स्कूलों को ग्रेड-डी मिला है। डीआईओएस ने यह रिपोर्ट निदेशालय को भेजी है। प्रधानाचार्यों का कहना है कि शिक्षक व संसाधन घटने से पढ़ाई के साथ ही रिजल्ट में गिरावट आई है।
शासन ने राजकीय माध्यमिक स्कूलों की शैक्षिक गुणवत्ता में सुधार के लिए हर तीन महीने पर ग्रेडिंग अनिवार्य कर रखी है। राज्य परियोजना निदेशालय के निर्देश पर राजकीय स्कूलों की ऑनलाइन ग्रेडिंग करायी जाती है। डीआईओएस राकेश कुमार ने बताया कि माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. महेन्द्र देव के निर्देश पर ग्रेडिंग करायी गई। लखनऊ के नगर व ग्रामीण क्षेत्र में 55 राजकीय हाईस्कूल और इंटरमीडिएट माध्यमिक राजकीय स्कूल हैं। इन स्कूलों में करीब 650 शिक्षक और कर्मचारी तैनात हैं। हर माह सरकार सैलरी पर सवा सात करोड़ देती है। ग्रेडिंग में लगातार गिरावट का असर रिजल्ट पर पड़ा है।दो वर्ष पहले तक इन्हीं राजकीय स्कूलों में से आधे स्कूल ग्रेड-एक हासिल करते थे। वहीं अप्रैल, मई और जून माह में एक भी स्कूल को ग्रेड एक नहीं मिला है।
यह है प्रक्रिया
राजकीय माध्यमिक स्कूलों के प्रधानाचार्यों को परख पोर्टल पर ऑनलाइन ब्योरा अपलोड करना होता है। छात्र व शिक्षक संख्या, छात्रों की उपस्थिति, पाठ्यक्रम, परीक्षाफल, भौतिक संसाधन, स्कूल में साफ सफाई एवं रख-रखाव व अन्य बिन्दुओं के साथ फोटो अपलोड की जाती है। डीआइओएस और जेडी पोर्टल पर सूचनाओं का सत्यापन करते हैं। अधिकारी पांच-पांच स्कूलों में भौतिक सत्यापन करते हैं। उसके बाद ओवरऑल ग्रेडिंग रिपोर्ट जारी होती है।
प्रधानाचार्यों की ओर से ऑनलाइन भरे गए ब्योरे के आधार पर ग्रेडिंग की जाती है। प्रधानाचार्यों को ग्रेडिंग में सुधार करने के निर्देश दिये हैं।
राकेश कुमार, डीआईओएस
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