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फर्जी नियुक्ति पत्र जारी कर युवाओं को जाल में फंसा रहे ठग

प्रयागराज, । ये दो केस मात्र उदाहरण हैं। ऐसे नियुक्ति पत्र इन दिनों तेजी से जारी हो रहे हैं। आबकारी विभाग के अफसरों ने बताया कि अलग-अलग जगह से लोगों ने पत्र का हवाला देकर बताया कि उन्हें नौकरी मिली है। पिछले कुछ दिनों में सात लोगों ने यहां पर संपर्क किया है। दो नियुक्ति पत्र तो उत्तर प्रदेश आबकारी विभाग के थे, जबकि शेष पांच तो अन्य प्रदेशों के थे।


अफसरों ने बताया कि पहले तो पत्र देखकर लगा कि यह विभाग का है, लेकिन इतना तो मालूम ही था कि वर्तमान में कोई नियुक्ति नहीं निकली और विभाग की ओर से जारी पत्र में यह बिल्कुल नहीं लिखा जा सकता कि ट्रेनिंग और दूसरे कार्यों के लिए भुगतान करना होगा। अगर ऐसी कोई बात होगी तो जारी विज्ञापन के समय स्पष्ट होगी जो कि अभी जारी ही नहीं हुआ। जिला आबकारी अधिकारी सुशील कुमार मिश्रा का कहना है कि ऐसे पत्रों पर भरोसा न करें। क्योंकि विभाग की नियुक्ति की एक पूरी प्रक्रिया होती है।

ऐसे बना रहे हैं नियुक्ति पत्र

पत्र का मजमूम ठीक वैसा ही रहता है, जैसा कि विभाग से जारी होता है। इसके बाद इसमें नाम व पता एकदम सही रहता है। महत्वपूर्ण निर्देश बेहद छोटे में इतना अधिक होते हैं जिसे व्यक्ति ठीक से पढ़ ही नहीं सकता। एक जगह फोटो भी लगाई जाती है, जो कि पहचान में आना मुश्किल है। कुल मिलाकर इसे देखकर यह लगता है कि नियुक्ति पत्र जारी हुआ होगा। इतना ही नहीं ठग इसमें बाकायदा क्यूआर कोड भी बनाते हैं, जिससे संदेह न हो।

महावीर लाइन निवासी दिव्या श्रीवास्तव को कौशल विकास भारत की ओर से पिछले दिनों नियुक्ति पत्र मिला। जिसमें रिपोर्टिंग का समय 10 बजे, ट्रेनिंग का समय 11 बजे लिखा था। साथ ही इसमें लिखा था कि क्लर्क के रूप में काम करने के लिए 28500 रुपये वेतन दिया जाएगा। इसके पहले उनका वेरिफिकेशन होगा और शुल्क के रूप में 1110 रुपये देना होगा। दिव्या अपने पिता के साथ कौशल विकास के कार्यालय गईं तो पता चला विभाग की ओर से ऐसी नियुक्ति जारी नहीं की गई है। वेरिफिकेशन के लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाता।

धूमनगंज के उमेश कुमार के पास पिछले दिनों एक पत्र आया। लिफाफा खोला तो उसमें आबकारी विभाग में क्लर्क की नौकरी का नियुक्ति पत्र था। उमेश ने कभी किसी समय में आबकारी में आवेदन किया था। इसमें लिखा था कि ज्वाइनिंग के वक्त 28 हजार रुपये विभिन्न खर्चों के कारण भुगतान करना होगा। उमेश ने जब विभाग जाकर जानकारी की तो पता चला यहां से ऐसा कोई पत्र जारी नहीं हुआ है।

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