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उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद भी हो गया खाली

लखनऊ : प्रदेश में पहले से रिक्त चल रहे कई बोर्ड व निगम के बाद अब उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद भी खाली हो गया है। डा. इफ्तिखार अहमद जावेद की अध्यक्षता में गठित मदरसा शिक्षा परिषद का तीन वर्ष का कार्यकाल 15 सितंबर को पूरा हो चुका है। मदरसा बोर्ड के पुनर्गठन का प्रस्ताव प्रदेश सरकार के पास भेजा जा चुका है। इसमें अध्यक्ष व उपाध्यक्ष के अलावा 12 सदस्य होते हैं। परिषद में उपाध्यक्ष का पद निदेशक अल्पसंख्यक कल्याण के पास होता है। अध्यक्ष व सदस्यों की नियुक्ति मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की स्वीकृति के बाद होगी। मदरसा बोर्ड मदरसों की परीक्षाएं आयोजित कराने के साथ ही मदरसों के पाठ्यक्रम का भी निर्धारण करता है। 

यह मदरसों को मान्यता प्रदान करने, मदरसों को अनुदान दिलाने व इन्हें नियंत्रित करने का कार्य करता है। मदरसा बोर्ड के रजिस्ट्रार ने शासन को बोर्ड का फिर से गठन करने के लिए पत्र भेजा है। करीब दो महीने पहले भी बोर्ड के गठन को लेकर एक पत्र भेजा जा चुका है। 

मदरसा शिक्षा क्षेत्र के प्रख्यात मुस्लिम शिक्षाविद् ही परिषद के अध्यक्ष बनते हैं। इनका कार्यकाल तीन वर्ष का होता है। 3 राजकीय ओरियंटल कालेज रामपुर व प्रधानाचार्य इसके नामित सदस्य होते हैं। विधानमंडल के दोनों सदनों में से एक शिया व एक सुन्नी विधायक भी इसके सदस्य होते हैं।


बोर्ड में राष्ट्रीय अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद के एक प्रतिनिधि भी इसके सदस्य होते हैं। प्रदेश सरकारक चार मुस्लिम शिक्षाविद् को इसमें बतौर सदस्य नामित करती है। शिया मुस्लिम संस्थाओं के एक अध्यापक भी इसके सदस्य नामित किए जाते हैं। प्रदेश सरकार एक विज्ञान के अध्यापक को इसमें नामित करती है।

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