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स्कूल मर्जर पर हिमांशु राणा का कटाक्ष, जानिए क्यों किया जा रहा ऐसा

Sustainable Action for Transforming Human Capital in Education (SATH-E)
नीति आयोग जिसके अध्यक्ष मा० प्रधानमंत्री जी हैं उनके दिशा निर्देश पर ही ये कार्य हो रहा है।


रिपोर्ट के अनुसार मर्जर के बाद भी भारत के पास चीन से पाँच गुना विद्यालय होंगे उतने ही enrollment के लिए। रिपोर्ट में ये भी कहा है कि भारत के पचास फ़ीसदी विद्यालय ऐसे हैं जहाँ साठ से कम PTR है। ये पहले तीन राज्य उड़ीसा (2000 schools merged), झारखंड (4380 schools merged) और मध्यप्रदेश(35000 schools merged) में लागू हुआ अब ये तमाम राज्यों में लागू करने की क़वायद है।


नीति आयोग का कहना है कि स्कूलो की हालत ख़स्ता है और कहीं एक शिक्षक है कहीं दो और कई जगह हेड शिक्षक नही है जिसकी वजह से सरकार को बहुत ही नुक़सान होता है झारखंड अकेले ने स्कूल के संविलियन को करके ₹ चार सौ करोड़ बचाए हैं।


नीति आयोग का कहना है कि ऐसे क्षेत्रों में बड़े कैम्पस में स्कूल बनाए जाएँ और बच्चों को ट्रांसपोर्ट facility provide करवाई जाए ताकि वे स्कूल तक पहुँच सकें।


रिपोर्ट में ये भी कहा है कि भारत को इस समय millions of teachers की आवश्यकता है लेकिन अभी की स्थिति ये है कि अधिकतर शिक्षक urban areas में हैं और जबकि ज़रूरत है rural areas में।

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कुल मिलाकर ये है कि आपने सभी ने शेर पाला था तो ये शेर आपके हक़ को खाकर ही अपना ख़र्चा निकालेगा, cost cutting programme है मर्जर स्कीम इसके अलावा कुछ नही क्योंकि आप सभी को पता है कि ट्रांसपोर्ट का क्या हाल रहेगा ये सौ दो सौ DBT में बढ़ा देंगे बस बाक़ी फिर बच्चा स्कूल आए न आए पर हाँ मास्टर ज़रूर गाँव में घूमता रहेगा बच्चे को बुलाने के लिए। नीति आयोग में AC में बैठकर निर्णय हो सकते हैं लेकिन वास्तविक स्थिति उत्तर प्रदेश की सभी को पता है।




शासन का आदेश आने दीजिए इसको रुकवाना प्राथमिकता है मेरी।



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