लंदन, एजेंसी। घर, स्कूल या खेल के मैदान में बड़े लोग बच्चों को सुधारने के लिए अक्सर उनपर चिल्लाते हैं या धमकी देते हैं, लेकिन ऐसा करने से सुधार की जगह उनकी विकास में बाधा आएगी। अध्ययन में इस तरह बच्चों पर चिल्लाना या धमकी देने को शारीरिक शोषण के बराबर बताया गया है। शोधकर्ताओं का दावा है कि इससे बच्चों का विकास प्रभावित होता है।
घट जाती है तर्क करने की क्षमताः उत्तरी कैरोलिना ओर लंदन कॉलेज यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने अध्यययन में कहा है कि बच्चों को धमकाकर या उनपर चिल्लाकर गुस्सा तो निकाल देते हैं लेकिन इससे उनमें सुधार नहीं होता बल्कि आगे चलकर उनकी तर्क-वितर्क की क्षमता कमजोर हो जाती है। अध्ययन के अनुसार, बच्चों पर चिल्लाने से दिमाग केएक हिस्से (प्री-फ्रंटल कॉर्टेक्स) का विकास रुक जाता है, जो तर्क और वितर्क करने की क्षमता का विकास
करता है।
अपराध करने की प्रवृत्ति :
शोधकर्ताओं का कहना है कि इस तरह से बच्चों में अपराध करने की प्रवृति आ जाती है। इससे बच्चे अवसाद में भी जा सकते हैं। इसके अलावा माइग्रेन और गठिया जैसी बीमारियों के भी आसार हो सकते हैं। अध्ययन में डब्ल्यूएचओ का हवाला देते हुए कहा गया है कि बच्चों के शारीरिक और यौन शोषण के मामलों की तुलना में भावनात्मक शोषण के मामले बढ़ गए हैं।
मौजूदा समय में बच्चों के साथ दुर्व्यवहार की
चार श्रेणियां हैं . शारीरिक शोषण 1
2. यौन शोषण 3. भावनात्मक शोषण 4. उपेक्षा
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