लखनऊ, । राज्य सरकार ने सरकारी सेवाओं में उपलब्ध पदों को भरने के लिए मेरिट आधारित चयनों में अपनाई जाने वाली प्रक्रिया को लेकर स्थिति साफ की है। इसमें स्पष्ट किया गया है कि दूसरी पदोन्नति में पहले मिल चुका दंड बाधक नहीं बनेगा। मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह के निर्देश पर कार्मिक विभाग ने इस संबंध में शासनादेश जारी कर दिया है।
कार्मिक विभाग के शासनादेश 27 सितंबर 2019 में मेरिट आधारित चयनों में अपनाई जाने वाली प्रक्रिया के संबंध में मार्गदर्शक सिद्धांत व्यवस्था निर्धारित की गई है।
इसमें बृहद दंड पर कार्मिक को प्रथम पांच चयनों में अनुपयुक्त माना जाएगा, लेकिन इसके बाद इसे संज्ञान में नहीं लिया जाएगा। इसी प्रकार लघु दंड को दो क्रामिक चयनों में उसे अनुपयुक्त माना जाएगा और इसके बाद इसका संज्ञान नहीं लिया जाएगा।
मुख्य सचिव की अध्यक्षता में पिछले दिनों पदोन्नति को लेकर आने वाली समस्याओं लेकर बैठक हुई थी। इसमें कार्मिकों की संख्या कम होने और दंडित होने वाले को पदोन्नति न दे पाने का मामला रखा गया था।
मुख्य सचिव ने इसके बाद पदोन्नति में आने वाली बाधा को दूर करने के लिए कार्मिक विभाग से शासनादेश जारी करते हुए स्थिति स्पष्ट करने को कहा था।
मुख्य सचिव के निर्देश के बाद यह शासनादेश जारी किया गया है। इसी में यह स्पष्ट किया गया है कि किसी कार्मिक को किसी दंडादेश के लागू रहते ज्येष्ठता आधारित चयनों में पदोन्नति प्राप्त हो गई है, तो चयन समिति द्वारा उसके विरुद्ध पारित दंडादेश से संबंधित आरोपों, अनियमितताओं की गंभीरता आदि पर विचार कर फैसला किया जाएगा। शासनादेश में यह साफ किया गया है कि मेरिट आधारित चयनों में सामान्य मार्गदर्शक सिद्धांत व्यवस्था का तत्काल प्रभाव से संज्ञान में लेते हुए पदोन्नतियां दी जाएंगी।
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