लखनऊ। पुरुषों की तुलना में तीन गुना ज्यादा महिलाएं मानसिक बीमारी की शिकार हो रही हैं। इसके कारण वह घरों से भाग रही हैं। फिर किसी स्टेशन या बाजार में विक्षिप्त हालत में मिल रही हैं। इनको बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) के आदेश पर महिला संरक्षण गृहों में भेजा जा रहा है। वहां इनका इलाज भी हो रहा है। छह महीने में लखनऊ व आस-पास के जिलों से 347 विक्षिप्त महिलाएं लाई गईं। इनकी तुलना में 106 पुरुष ही विक्षिप्त मिले हैं। इस तरह से पुरुषों की तुलना में 3.27 गुना ज्यादा महिलाएं विक्षिप्त मिली हैं।
सीडब्ल्यूसी के पिछले छह महीने के आंकड़ों की आपके अपने अखबार हिन्दुस्तान ने पड़ताल की तो पता चला कि लावारिस हालत में अप्रैल से सितम्बर तक 347 विक्षिप्त महिलाएं मिलीं। इनमें से तमाम अपने व घर-परिवार के बारे में कुछ भी नहीं बता सकीं। सर्वाधिक 73 महिलाएं अकेले अगस्त में मिलीं। आठ पुरुष ही मिले। अगस्त में पुरुषों के मुकाबले विक्षिप्त मिलीं महिलाओं का आंकड़ा नौगुना ज्यादा है। इसी तरह सितम्बर में 57 महिलाएं और चार पुरुष विक्षिप्त मिले। महिलाओं का यह आंकड़ा 14 गुना ज्यादा है।
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