टीईटी-2011 से संबंधित याचिकाएं खारिज, 6402 याचियों पर जुर्माना
इलाहाबाद हाईकोर्ट कहा- सुप्रीम कोर्ट दे चुका है निर्णय, अब नहीं हो सकता विचार
प्रयागराज । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने टीईटी (प्राथमिक स्तर) परीक्षा 2011 से संबंधित सभी लंबित याचिकाएं खारिज कर दी। साथ ही हाईकोर्ट का समय बर्बाद करने के लिए 6402 याचियों पर 100-100 रुपये (कुल 6,40,200 रुपये) का जुर्माना भी लगाया। यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी की एकल पीठ ने दिया।
कोर्ट ने कहा कि शिव कुमार पाठक बनाम उत्तर प्रदेश सरकार केस में सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही इस विषय पर निर्णय दिया है। अब दोबारा इस विषय पर विचार नहीं किया जा सकता। मामले में याचियों की दलील थी कि टीईटी-2011 परीक्षा में प्राप्त अंकों के आधार पर मेरिट बनाया जाए। साथ ही टीईटी परीक्षा की ओएमआर शीट्स का पुनर्मूल्यांकन किया जाए। वहीं शासकीय अधिवक्ता ने दलील दी कि टीईटी परीक्षा पात्रता परीक्षा है। इसके आधार पर मेरिट नहीं बनाई जा सकती।
पीईटी की वैधता अवधि समाप्त होने से अटकीं भर्तियां
प्रयागराज प्रारंभिक अर्हता परीक्षा (पीईटी) की वैधता तिथि समाप्त होने के कारण उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की भर्तियां अटकी हैं। प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति के मीडिया प्रभारी प्रशांत पांडेय ने सीएम को पत्र लिख वैधता अवधि बढ़ाने की मांग की है। कहा, पीईटी- 2023 की वैधता 29 जनवरी 2025 को समाप्त हो चुकी है। 2024 व 2025 में पीईटी का आयोजन नहीं किया गया है। ब्यूरो
हाईकोर्ट ने पक्षों को सुनने के बाद मामले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया। साथ ही बेवजह की याचिका दाखिल करने पर याचियों पर जुर्माना लगाया । यह राशि हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के समक्ष जमा की जानी है।
हाईकोर्ट ने देर से दाखिल विशेष अपील की खारिज
प्रयागराज । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बिना ठोस वजह बताए डेढ़ साल के बाद राज्य सरकार की ओर से दाखिल विशेष अपील खारिज कर दी है। कहा, अवमानना कार्यवाही से बचने के लिए
कोर्ट में देरी के लिए संतोषजनक उत्तर उत्तर नहीं दिया
अपील दाखिल की गई है। साथ ही देरी के लिए संतोषजनक नहीं दिया गया है। यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र व न्यायमूर्ति डोनादी रमेश की खंडपीठ ने उप्र राज्य बनाम सतीश चंद्र गुप्ता, अरुण कुमार गुप्ता व अन्य की विशेष अपील पर दिया है अपीलें एकल पीठ के पांच दिसंबर 2011 को पारित आदेश की चुनौती में 2024-25 में दाखिल की गई थीं। एकल पीठ ने 28 नवंबर 2006 व 10 नवंबर 2006 विभागीय आदेश रद्द कर दिया था। याचियों को नियुक्ति तिथि से वेतन देने का निर्देश दिया था।
इसका पालन न करने पर अवमानना याचिका दायर की गई। अधिकारियों पर अवमानना आरोप निर्मित किया गया तो लगभग डेढ़ साल के बाद एकलपीठ के आदेश को विशेष अपील में चुनौती दी। ब्यूरो


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