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शिक्षक नहीं तो कैसे लागू हो नई शिक्षा नीति

नई दिल्लीः स्कूलों में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) को लागू करने के लिए भले ही केंद्र व राज्य सरकारें पूरी शिद्दत से जुटी हुई हैं, लेकिन हकीकत यह है कि स्कूलों में इसे अमल में लाने के लिए पर्याप्त शिक्षक ही नहीं हैं। स्कूलों में अभी भी शिक्षकों के करीब आठ लाख पद खाली पड़े हैं। यह बात अलग है कि पिछले वर्षों के मुकाबले इसमें सुधार हुआ है। पहले यह संख्या दस लाख से अधिक थी। इसके साथ ही देश के एक लाख से अधिक प्राथमिक स्कूल ऐसे भी हैं, जो सिर्फ एक शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं।

स्कूलों में नया शैक्षणिक सत्र शुरू होने के साथ ही शिक्षा मंत्रालय ने शिक्षकों के खाली पदों को भरने के लिए राज्यों को एक बार फिर पत्र लिखा है। जिसमें शिक्षकों के खाली पदों को प्राथमिकता से भरने के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही यह सुझाव दिया है कि स्कूलों में शिक्षकों के पद रिक्त होने से पहले ही उन्हें भरने की योजना बनाई जाए। जिससे स्कूलों को जल्द नए शिक्षक मिल सकें।

मंत्रालय का मानना है कि स्कूलों में शिक्षकों के पदों का खाली होना एक सतत प्रक्रिया है, लेकिन यदि तीन-तीन महीने में सेवानिवृत्त होने वाले शिक्षकों का ब्योरा जुटाया जाए व खाली होने वाले पदों पर भर्ती की प्रक्रिया को पहले से शुरू कर दी जाए, इससे संकट से बचा जा सकता है। शिक्षा मंत्रालय की ओर से संसद को सौंपी गई एक रिपोर्ट के मुताबिक देश में वैसे तो शिक्षकों की कुल संख्या 98 लाख है। इनमें से करीब आठ लाख पद अभी भी खाली हैं। सबसे अधिक पद

बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, बंगाल में खाली हैं। इसके साथ ही देश में एक लाख से अधिक प्राथमिक स्कूल ऐसे हैं, जो एक ही शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं। एक शिक्षक के भरोसे स्कूलों की सूची में बिहार की स्थिति बाकी राज्यों से थोड़ी अच्छी है। गौरतलब है कि मौजूदा समय में देश में 14.71 लाख से अधिक स्कूल हैं। जिसमें 2.60 लाख स्कूल शहरी क्षेत्रों में हैं, बाकी 12.12 लाख से अधिक स्कूल ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित हैं।

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