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फर्जी प्रपत्र के जरिए पत्रावली पेश कराने में शिक्षक ने निभाई भूमिका

सिद्धार्थनगर,

फर्जी एवं कूटरचित अभिलेखों के आधार पर बेसिक शिक्षा विभाग में सिद्धार्थनगर जनपद हब बनता जा रहा है। पिछले पांच वर्षों में 130 फर्जी शिक्षकों के मामले आ चुके हैं। इधर अभिलेखों का सत्यापन आए बगैर हाल ही में 12460 शिक्षक भर्ती में राम मनोहर लोहिया विवि अयोध्या से सत्यापन होकर आए नौ शिक्षकों की बजाए 11 की संख्या दिखाई गई।



प्रभारी बीएसए प्रकाश सिंह ने नौ शिक्षकों का ही प्रपत्र सही पाए जाने का मामला पकड़ा। संबंधित कनिष्ठ को नोटिस देने और पूरे प्रकरण की जांच खंड शिक्षा अधिकारी को सौंपने जाने के बाद नया खुलासा सामने आया है। लिपिक के जवाब में एक शिक्षक की भूमिका अहम बताई गई। संबंधित शिक्षक ने भी दो शिक्षकों के सत्यापन रिपोर्ट गलत तरीके से लगाए जाने की लिखित रूप से गलती स्वीकार की है।

बीएसए कार्यालय में पटल लिपिक की ओर से प्रभारी बीएसए प्रकाश सिंह के समक्ष 12460 शिक्षक भर्ती में चयनित अभ्यर्थियों के स्नातक अंकपत्र सत्यापन के क्रम में नौ शिक्षकों का सत्यापन राम मनोहर लोहिया अयोध्या से आने के बाद पत्रावली पेश की गई। हस्ताक्षर करने से पहले ही बीएसए ने 11 शिक्षकों से संबंधित प्रपत्र लगाए गए हैं, पर दो के प्रपत्र फर्जी पाए गए। जब कनिष्ठ लिपिक से मौखिक और लिखित रूप से पूछताछ की गई तो

जवाब में लिपिक शिवसागर चौबे ने अवगत कराया कि विद्यालय अवधि के बाद कभी कभार सहयोग करने वाले सहायक अध्यापक प्राथमिक विद्यालय गुजरौलिया ग्रांट ब्लाक शोहरतगढ़ शिवम त्रिपाठी ने फर्जीवाड़ा किया। गलत तरीके से गड़बड़ी करने की स्वीकारोत्ति शिवम त्रिपाठी ने लिखित रूप से बीएसए को दिए पत्र में भी किया है। ऐसे में स्पष्ट रूप से इस पूरे प्रकरण की जांच में एक शिक्षक की भूमिका अहम साबित हो गई है।



मौखिक और नियमों की अनदेखी



से कर रहे कार्यः बेसिक शिक्षा विभाग में शासनादेश के बाद भी संबद्धता का खेल खत्म नहीं हो पा रहा है। बीएसए कार्यालय में विभिन्न स्कूलों में अलग अलग पदों पर कार्य कर रहे लोगों की संबद्धता समाप्त करने की कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। इतना ही नहीं कुछ शिक्षक और कर्मी बगैर किसी आदेश के कैसे कार्य कर रहे हैं, यह बड़ा सवाल है। भविष्य में ऐसे लोगों पर अंकुश लगेगा या नहीं, आने वाला समय ही बताएगा।






प्रदेश में 12460 शिक्षक भर्ती के मामले में में 11 शिक्षकों के सत्यापन संबंधी पत्रावली प्रस्तुत हुई, इसमें दो के प्रपत्र संदिग्ध मिले। जिस पर कनिष्ठ लिपिक को नोटिस दिया गया। जिसमें कभी कभार सहयोग करने वाले एक शिक्षक की ओर से फर्जीवाड़ा किया गया था। इससे संबंधित शिक्षक ने लिखित रूप से स्वीकार भी की है। प्रकरण की सच्चाई के लिए एक बीईओ को जांच सौपी गई है।



प्रकाश सिंह, तत्कालीन प्रभारी बीएसए व डीआईओएस






फर्जी शिक्षकों के मामले में कार्रवाई ठंडे बस्ते में






सितंबर 2024 में बेसिक शिक्षा विभाग में फर्जी नियुक्ति पत्र जमा करने के लिए आठ जालसाजों ने भनवापुर ब्लॉक में शिक्षक की नौकरी हासिल कर ली थी। एक व्यक्ति ने शिकायत की तो नए सिरे से जांच हुई तो तो फर्जीवाड़ा पकड़ में आया है। है। इस मामले में विभागीय स्तर से केस दर्ज कराई गई और शासन से बीईओ को बीएसए कार्यालय से संबद्ध करने तक ही कार्रवाई सिमट कर रह गई। बीआरसी भनवापुर में तैनात आउटसोर्स के तहत नियुक्त लेखाकार पर भी कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है। जून 2024 में हुई नियुक्तियों में भनवापुर ब्लॉक में 36 चयनित शिक्षकों को ऑनलाइन माध्यम से नियुक्ति प्रदान की गई थी, लेकिन इनकी जांच में में लापरवाही के कारण आठ फर्जी लोगों ने नौकरी हासिल कर ली और उन्हें विद्यालय भी आवंटित हो गए थे

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